आपदा प्रभावित इलाकों का जायज़ा लेने उत्तराखंड आएंगे पीएम मोदी, तैयारियों में जुटा प्रशासन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 सितंबर को उत्तराखंड के दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान वह राज्य के दो सबसे अधिक आपदा प्रभावित जिलों — उत्तरकाशी और चमोली का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। आपदा की विभीषिका से जूझ रहे क्षेत्रों की स्थिति का खुद आकलन करने और राहत-बचाव कार्यों की प्रगति की जानकारी लेने के लिए प्रधानमंत्री का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री के इस प्रस्तावित कार्यक्रम को शासन को औपचारिक रूप से प्राप्त हो चुका है। कार्यक्रम के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी 11 सितंबर की दोपहर जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। वहां से वह उत्तरकाशी और चमोली जिलों के आपदा प्रभावित इलाकों का हवाई निरीक्षण करेंगे। सर्वेक्षण के बाद प्रधानमंत्री सीधे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इस बैठक में राहत एवं पुनर्वास कार्यों की विस्तृत समीक्षा की जाएगी और आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। गौरतलब है कि उत्तराखंड में बीते दिनों आपदा ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है। उत्तरकाशी के धराली और स्यानाचट्टी क्षेत्रों में भारी तबाही हुई, वहीं चमोली जिले के थराली और अन्य इलाकों में भी भूस्खलन और भारी वर्षा से बड़ी क्षति हुई है। प्रधानमंत्री मोदी इस पूरे घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए थे। उन्होंने आपदा की हर स्थिति पर मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बातचीत कर जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।

प्रधानमंत्री के आगामी दौरे को देखते हुए उत्तराखंड शासन और प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिवालय में उच्च स्तरीय बैठक कर संबंधित विभागों के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखी जाएं। इसमें सुरक्षा इंतजाम, हवाई सर्वेक्षण की व्यवस्था, आपदा प्रभावित क्षेत्रों की रिपोर्टिंग और राहत कार्यों की स्थिति संबंधी प्रस्तुतियां शामिल हैं।

राज्य सरकार इस दौरे को बेहद महत्वपूर्ण मान रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री का सीधा आकलन न केवल राज्य सरकार को राहत कार्यों में बल देगा, बल्कि केंद्र से मिलने वाली अतिरिक्त सहायता की संभावनाओं को भी मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री का यह दौरा आपदा प्रभावित लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, जिन्हें केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अधिक प्रभावी राहत और पुनर्वास उपायों की अपेक्षा है।

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