
भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ समय से चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्तों में अब नरमी के संकेत दिखाई देने लगे हैं। तेल और टैरिफ विवाद, जिसने दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में खटास पैदा कर दी थी, अब सुलह की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। दोनों देशों की सरकारें इस विवाद को खत्म कर नए सिरे से रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती देने के लिए तैयार हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह समझौता तय हो जाता है तो द्विपक्षीय व्यापार और सुरक्षा सहयोग में भी नई गति आएगी।
यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत और अमेरिका दोनों ही वैश्विक स्तर पर अपनी साझेदारी को लेकर सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। पिछले एक हफ्ते में यह दूसरी बार हुआ है कि दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने खुले तौर पर रिश्तों को सुधारने और उन्हें नए मुकाम तक ले जाने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे की खुलकर प्रशंसा की। दोनों नेताओं ने संदेश देते हुए कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भारत और अमेरिका लोकतंत्र, वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए मिलकर कार्य करेंगे। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी जवाब देते हुए भारत को अमेरिका का मजबूत और भरोसेमंद साझेदार बताया। इस सकारात्मक संवाद ने दोनों देशों के बीच हालिया मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए सहयोग की नई दिशा को जन्म दिया है।
तेल और टैरिफ विवाद को लेकर काफी समय से खींचतान चल रही थी। अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए कुछ व्यापारिक प्रतिबंध और भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर बढ़ाए गए शुल्क ने रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया था। लेकिन अब माना जा रहा है कि दोनों देश एक संतुलित डील की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे ऊर्जा क्षेत्र और व्यापारिक हितों को संतुलित किया जा सके।
इस बदलते माहौल का एक और अहम पहलू यह है कि भारत में होने वाले संभावित क्वाड शिखर सम्मेलन की स्थिति भी अब और स्पष्ट हो सकती है। अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत की इस महत्वपूर्ण रणनीतिक बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता और आर्थिक सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है। राष्ट्रपति ट्रंप के भारत आने की संभावना भी इसी क्रम में देखी जा रही है। अगर ऐसा होता है तो यह भारत-अमेरिका संबंधों में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों की यह नई गर्माहट न केवल कूटनीति और व्यापार तक सीमित रहेगी, बल्कि रक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, तकनीकी साझेदारी और वैश्विक मंचों पर समन्वय को भी गहराई देगी। विश्लेषकों का मानना है कि मोदी और ट्रंप की यह पहल आने वाले वर्षों में दोनों देशों की जनता के लिए बड़े अवसर लेकर आएगी।