“Gen-Z की नई मांग: ‘युवा पीएम चाहिए’, नेपाल में सत्ता का नया चेहरा किसका होगा?”

काठमांडू: नेपाल में राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। जेन-जी आंदोलन की सक्रियता के बीच अंतरिम सरकार के गठन पर सर्वपक्षीय सहमति बन गई है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल और प्रमुख कानूनविदों के साथ लंबी विचार-विमर्श और परामर्श के बाद पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधान के रूप में नामित किया। यह कदम राजनीतिक स्थिरता और प्रशासनिक संचालन को सुचारू बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

देश में पिछले कुछ समय से जेन-जी समूहों के बीच सक्रिय आंदोलन चल रहा है, जिसमें युवा वर्ग विशेष रूप से प्रमुख भूमिका निभा रहा है। युवाओं की मांग है कि देश के नेतृत्व में नई सोच और ऊर्जा लेकर आने के लिए युवा प्रधानमंत्री की जरूरत है। हालांकि, अंतरिम प्रधान के चयन को लेकर विभिन्न राजनीतिक गुटों में मतभेद और असहमति देखने को मिली थी। राष्ट्रपति पौडेल की पहल से इन मतभेदों को कम किया गया और सभी पक्षों को संतुलित रूप से शामिल करते हुए सहमति बनाई गई।

नेपाल की संसद विघटन और विधायी प्रक्रियाओं के मुद्दे पर राजनीतिक गतिरोध अभी भी जारी है। विभिन्न राजनीतिक दल इस पर अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं और अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है। इस गतिरोध के बीच राष्ट्रपति के कदम को राजनीतिक स्थिरता के लिए जरूरी माना जा रहा है, ताकि देश में प्रशासनिक कार्यवाहियों में कोई व्यवधान न आए।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन नेपाल में युवा वर्ग की मांगों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। युवा वर्ग और जेन-जी आंदोलन की आवाज़ अब धीरे-धीरे राजनीतिक नेतृत्व तक पहुँच रही है, और इससे देश की राजनीति में नए दृष्टिकोण और बदलाव की उम्मीद जगी है।

जेन-जी आंदोलन के कारण नेपाल में व्यापक सामाजिक सक्रियता भी देखने को मिल रही है। युवा वर्ग ने अपनी मांगों के माध्यम से राजनीतिक दलों और प्रशासन को यह संदेश दिया है कि देश के भविष्य में उनकी भागीदारी अनिवार्य है। अंतरिम प्रधान के चयन से अब यह स्पष्ट संदेश गया है कि युवा आवाज़ और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को महत्व दिया जा रहा है।

हालांकि राजनीतिक स्थिरता और पारदर्शिता को लेकर चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं, लेकिन अंतरिम सरकार का गठन देश की प्रशासनिक मशीनरी को संचालित करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। देश की जनता, विशेषकर युवा वर्ग, इस कदम को सकारात्मक दृष्टिकोण से देख रहा है और उम्मीद कर रहा है कि नेपाल जल्द ही स्थिर राजनीतिक माहौल में लौटेगा।

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