
देहरादून में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की लापरवाही एक बार फिर सवालों के घेरे में है। अस्पताल की ओपीडी में मंगलवार को एक महिला तीव्र दर्द से कराहती रही, जबकि उसका बेटा कर्मचारियों से व्हीलचेयर की मांग करता रहा। मगर, स्टाफ ने आधार कार्ड या उसकी फोटोकॉपी के बिना व्हीलचेयर देने से साफ इंकार कर दिया।
लकड़मंडी निवासी शाहनवाज के अनुसार, उनकी मां मुन्नी पिछले दिन घर में गिर गई थीं, जिससे उनके कुल्हे में गंभीर चोट आई। सुबह करीब 9:30 बजे वे अस्पताल पहुंचे और पूछताछ काउंटर पर व्हीलचेयर मांगी। उन्होंने बताया कि अंदर कई व्हीलचेयर खाली पड़ी थीं, बावजूद इसके कर्मचारियों ने दस्तावेज न होने का हवाला देते हुए देने से मना कर दिया। शाहनवाज ने मोबाइल में आधार कार्ड दिखाकर निवेदन भी किया, लेकिन स्टाफ अपनी जिद पर अड़ा रहा।
लगभग आधे घंटे बाद, मजबूरी में शाहनवाज अपनी घायल मां को गोद में उठाकर पहली मंजिल पर डॉक्टर के पास ले गया। वहां इलाज के बाद एक्स-रे के लिए भेजा गया, जहां भी भीड़ के चलते दोपहर 12 बजे तक उनका नंबर आया।
घटना को देखकर मौजूद मरीज और तीमारदारों ने भी अस्पताल के रवैये पर नाराजगी जताई। उनका कहना था कि गंभीर स्थिति में मरीजों को सुविधा देना अस्पताल की जिम्मेदारी है, न कि नियमों के नाम पर उन्हें परेशान करना।
इस मामले पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आर.एस. बिष्ट ने बताया कि स्टेचर या व्हीलचेयर लेने के लिए आधार कार्ड जमा करना नियमों में शामिल है। हालांकि, ऐसी आपात स्थिति में कर्मचारियों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए मरीज की तकलीफ को समझना चाहिए था। उन्होंने माना कि इस तरह मरीजों और परिजनों को परेशानी में डालना उचित नहीं है।