दिल्ली : उद्योग विभाग की दिल्ली स्टार्टअप पॉलिसी-2021 से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

केजरीवाल सरकार ने दिल्ली को स्टार्टअप हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में कैबिनेट ने उद्योग विभाग की दिल्ली स्टार्टअप पॉलिसी-2021 से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अब दिल्ली सरकार अपना उद्यम शुरू करने वाले लोगों को बिना गारंटी के लोन और दूसरी सुविधाएं भी मुहैया कराएगी।

केजरीवाल ने बताया, दिल्ली की अब अपनी स्टार्टअप पॉलिसी होगी। बच्चों को हुनरमंद बनाने के लिए बिजनेस ब्लास्टर व उद्यमिता पाठ्यक्रम अब कॉलेजों में भी शुरू किया जाएगा। कॉलेज में बच्चे बिजनेस के आइडिया तैयार करेंगे और सरकार मदद करेगी। यही नहीं, कॉलेज का कोई विद्यार्थी अगर स्टार्टअप शुरू करना चाहता है, तो वह एक से दो साल तक की छुट्टी भी ले सकेगा। इसमें सरकार युवाओं को अपना उद्यम शुरू करने में मददगार बनेगी। 

एक साल तक ब्याज नहीं
कर्ज एक साल तक ब्याज मुक्त होगा। किराए की जगह पर काम करने पर सरकार आधा किराया दे सकती है। कर्मचारियों को वेतन का कुछ हिस्सा भी वित्तीय मदद के तौर पर मिलेगा। उद्यमी पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के लिए आवेदन करता है, तो सरकार फीस वापस करेगी। -अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री

पॉलिसी को लागू करने के लिए बनेंगी तीन कमेटियां
स्टार्टअप पॉलिसी को लागू करने के लिए तीन कमेटियां बनेंगी। पहली, स्टार्टअप पॉलिसी मॉनिटरिंग समिति की अध्यक्षता दिल्ली सरकार के वित्त मंत्री करेंगे। इसमें दिल्ली सरकार के उद्योग मंत्री और दूसरे राज्य विभाग के वरिष्ठ प्रतिनिधि सदस्य शामिल होंगे। वहीं, स्टार्टअप टास्क फोर्स की अध्यक्षता के लिए दिल्ली सरकार का उद्योग मंत्री एक अधिकारी नियुक्त करेगा। कमेटी में 5 फीसदी सरकारी प्रतिनिधि, 10 फीसदी शैक्षणिक संस्थान और 85 फीसदी निजी क्षेत्र से होंगे। कमेटी का मुख्य कार्य मान्यता प्राप्त उद्यमी, स्टार्टअप और इन्क्यूबेटर्स के आवेदनों का मूल्यांकन और अनुमोदन करना होगा, जबकि नोडल एजेंसी में उद्योग विभाग की निगरानी में एक सेल स्टार्टअप पॉलिसी को लागू करने के लिए होगा। इसका स्टार्टअप और हितधारकों से सीधा संपर्क होगा।

ये मिलेगा प्रोत्साहन

  • लीज रेंटल पर 50 फीसदी तक की प्रतिपूर्ति। यह हर साल अधिकतम 5 लाख रुपये तक हो सकता है।
  • पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, औद्योगिक डिजाइन करने के लिए एक लाख रुपये तक (भारत में) और तीन लाख रुपये तक (विदेश में) प्रतिपूर्ति अनुदान।
  • महिलाओं, वंचित वर्ग या विकलांग व्यक्तियों को 100 फीसदी और अन्य के लिए 50 फीसदी या 5 लाख रुपये तक साल में एक बार प्रदर्शनी स्टॉल या किराए की लागत की प्रतिपूर्ति।
  • एक वर्ष तक परिचालन या कर्मचारी के लिए मासिक भत्ता के तौर पर 30 हजार रुपये प्रतिमाह।
  • प्रतिस्पर्धी कार्यक्रमों के विजेता और चयनित लोगों को टोकन पुरस्कार।
  • विजेता छात्रों के शैक्षिक शुल्क के लिए छात्रवृत्ति, फैब्रिकेशन लैब और को-वर्किंग स्पेस के लिए वित्तीय सहायता, इंटरनेट का चार्ज भी दिया जा सकता है, जो 50 फीसदी से अधिकतम 2.5 लाख रुपये तक प्रतिवर्ष हो सकता है। यह सुविधा तीन साल के लिए होगी।

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