
लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के करीब एक बार फिर से हलचल तेज होने लगी है। पीओके में लांचिंग पैड्स पर बड़ी संख्या में आतंकी एकजुट होने लगे हैं। खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के अनुसार इन आतंकियों की संख्या 200-300 के बीच है। यह सब कश्मीर घाटी में घुसने की फिराक में हैं। एलओसी पर जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए अमर उजाला की टीम उत्तरी कश्मीर के सीमांत जिले कुपवाड़ा के मच्छिल सेक्टर पहुंची जहां सेना के जवान दिन रात एलओसी की हिफाजत कर रहे हैं।
श्रीनगर से करीब 200 किलोमीटर दूर माच्छिल सेक्टर की एलओसी पर अग्रिम चौकी ‘गौतम पोस्ट’ समुद्र तल से करीब 2250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 90 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद जब चरम पर था तब यह यह सेक्टर घुसपैठ के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला रूट था। यह इलाका पारम्परिक घुसपैठ के रास्तों में से एक था। आतंकवाद की शुरुआत से पहले इन इलाकों में बीएसएफ तैनात थी लेकिन 90 की शुरुआत में इनकी रखवाली का जिम्मा भारतीय सेना को सौंप दिया गया।
इसके बाद से इस इलाके में घुसपैठ पर थोड़ी रोक लगी लेकिन पूरी तरह रोक नहीं लग पाई। वर्ष 2008 से अब तक इस सेक्टर में एलओसी के करीब 350 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं और सेना के भी 80 के करीब जवान शहीद हुए हैं। करीब 740 किलोमीटर लंबी एलओसी में से 25 किमी का हिस्सा मच्छिल सेक्टर में पड़ता है। यहां पिछले 15 सालों में 1500 से ज्यादा घुसपैठ के प्रयास हुए हैं। और अब एक बार फिर से यहां से घुसपैठ का खतरा बढ़ गया है।
हिमस्खलन से बचने के लिए नई तकनीक
मच्छिल क्षेत्र कश्मीर के सबसे अधिक हिमस्खलन संभावित क्षेत्रों में से एक है। प्राकृतिक आपदाओं से चौकियों को बचाने और अन्य चौकियों से लगातार संपर्क के लिए सेना नई तकनीक लेकर आई है। अधिकारी ने बताया कि ऐसी जगह जहां हिमस्खलन का खतरा ज़्यादा है वहां चौकी के ऊपर के क्षेत्र में एरोहेड आकार में लोहे के खंभे लगाए जाते हैं। अगर कभी बर्फीला तोंदा चौकी की ओर आता भी है तो वो दो टुकड़ों में बंट जाता है।