यासीन मलिक पूर्व CM सईद की बेटी का किडनैपर:रूबिया ने कोर्ट में पहचाना, 32 साल पहले रिहाई के बदले 5 आतंकी छोड़ने पड़े थे

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने किया था। रूबिया ने शुक्रवार को CBI की विशेष अदालत के सामने गवाही में यासीन मलिक समेत 4 आतंकियों की पहचान की, जिन्होंने उनका अपहरण किया था। रूबिया पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की बहन हैं।

यह पहली बार है, जब रूबिया को इस मामले में पेश होने के लिए कहा गया था। वे फिलहाल तमिलनाडु में रहती हैं। रूबिया का अपहरण 8 दिसंबर 1989 को हुआ था। उनकी रिहाई के लिए 13 दिसंबर को सरकार को 5 आतंकवादी छोड़ने पड़े थे। उस समय मुफ्ती मोहम्मद सईद भारत के गृहमंत्री थे। CBI ने 1990 की शुरुआत में इस केस की जांच अपने हाथ में ले ली थी।

तस्वीरों के आधार पर हुई पहचान

रूबिया के वकील अनिल सेठी ने बताया कि वह CBI के सामने अपने पहले दिए गए बयान पर कायम हैं। उन्होंने CBI जांच के दौरान उपलब्ध कराई गई तस्वीरों के आधार पर यासीन मलिक और तीन अन्‍य की पहचान की। अपहरण के 31 साल से अधिक समय बाद मलिक और नौ अन्य के खिलाफ अदालत ने पिछले साल जनवरी में आरोप तय किए थे।

23 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
सेठी के मुताबिक सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त तय की गई है। अगली तारीख पर रूबिया भी मौजूद रहेंगी। यासीन मलिक ने क्राॅस एग्जामिनेशन के लिए खुद को व्यक्तिगत तौर पर जम्मू ले जाने की मांग की है। हालांकि यासीन को जम्मू लाया जाएगा या नहीं, इस बात की जानकारी नहीं मिली है।

अस्पताल से अपने घर लौट रही थीं रूबिया
रूबिया सईद के अपहरण को लेकर श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में 8 दिसंबर 1989 को FIR दर्ज कराई गई थी। FIR की कॉपी के मुताबिक, वे एक ट्रांजिट वैन में श्रीनगर के एक अस्पताल से अपने घर नौगाम के लिए जा रही थीं। वे MBBS की पढ़ाई के बाद अस्पताल में इंटर्नशिप कर रही थी।

वैन लाल चौक से होते हुए जब चानपूरा चौक के पास पहुंची। उसमें सवार 3 लोगों ने बंदूक के दम पर वैन को रोक लिया और रूबिया का अपहरण कर लिया। रिहाई के बदले JKLF (जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) ने 5 आतंकियों हामिद शेख, अल्ताफ अहमद भट्ट, नूर मोहम्मद, जावेद अहमद जरगर व शेर खान को रिहा करने की शर्त रखी थी। शर्त पूरी होने के बाद ही रूबिया को छोड़ा गया।

यासीन मलिक पर कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप
यासीन मलिक एक अलगाववादी नेता है और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़ा है। वह कश्मीर की राजनीति में हमेशा से ही सक्रिय रहा है। उस पर युवाओं को भड़काने और हाथों में बंदूक लेने के लिए प्रेरित करने का आरोप है।

यासीन पर पाकिस्‍तानी आतंकियों के साथ संबंध रखने के आरोप भी हैं। 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने पर मजबूर करने में भी यासीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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