भारतीय रुपए में जारी गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। इस वक्त 1 डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसलकर 80 के करीब पहुंच गया है। रुपए के कमजोर होने से विदेश में पढ़ना और वहां घूमने जाना महंगा हो गया है। इसके अलावा आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई भी बढ़ सकती है।
डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य मुद्रा का मूल्य घटे तो इसे उस मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा की चाल तय होती है।
अगर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर है तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।