महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शनिवार की देर शाम अचानक दिल्ली रवाना हो गए। वे CM बनने के 30 दिनों के भीतर 6 बार दिल्ली का चक्कर लगा चुके हैं। इससे पहले के दौरों में उनके साथ डिप्टी CM भी साथ थे। माना जा रहा है कि शिंदे कैबिनेट विस्तार को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा करेंगे। महाराष्ट्र सरकार एक महीने बाद भी मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पाई है।
सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में चल रहे दांव-पेंच और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से विभागों के बंटवारे की हरी झंडी नहीं मिल पाने से मंत्रिमंडल का विस्तार लटका है। एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने 30 जून को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिंदे गुट के पक्ष में आने की गारंटी नहीं
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच के सामने शिंदे गुटे के 16 विधायकों और उद्धव ठाकरे गुट के 15 विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पेंडिग है। दूसरी ओर चुनाव आयोग के सामने शिवसेना का चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ का मसला विचाराधीन है।
चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को 8 अगस्त तक लिखित में अपना जवाब दाखिल करने को कहा हुआ है। लेकिन इस बीच शिंदे गुट ने चुनाव आयोग से सामने खुद को ही असली शिवसेना के तौर पर मान्यता देने का लिखित निवेदन किया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे गुट की ओर से इस पर रोक लगाए जाने की गुहार लगाई गई। इस मामले पर अब एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने की संभावना है।
सुप्रीम कोर्ट में मामले होने के कारण केंद्र नहीं दे रहा मंजूरी
उद्धव ठाकरे का दामन छोड़ कर शिंदे खेमे में जाने वालों में पूर्व सरकार के 8 मंत्री शामिल हैं। ऐसे में ये मौजूदा सरकार में भी इन्हें मंत्री पद दिया जाएगा। BJP से जुड़े एक करीबी नेता ने बताया कि उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर 16 विधायकों के निलंबन की याचिका की वजह से मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है।
केंद्र को लगता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने इनमें से किसी भी विधायक को अयोग्य घोषित कर दिया तो यह उनके लिए एक बड़ा सेटबैक हो सकता है। यही वजह है कि अलग-अलग वजहों को आधार बनाकर मंत्रिमंडल के विस्तार को आगे बढ़ाया जा रहा है।