
महंगाई एक के बाद एक लगातार रिकॉर्ड तोड़ रही है। पिछले दो माह में केरोसिन के दामों में 24 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हुई है। इसका असर ये हुआ है कि ग्वालियर जिले में इस अवधि में शहर के सहकारी उपभोक्ता भंडारों और ग्रामीण क्षेत्र में सोसायटी से उपभोक्ताओं ने केरोसिन खरीदा ही नहीं है।
डीजल की तुलना में केरोसिन 10 रुपए 24 पैसे प्रति लीटर महंगा है। ग्वालियर में डीजल 93 रुपए 76 पैसे प्रति लीटर है, जबकि केरोसिन की कीमत 104 रुपए लीटर हो चुकी है। मई में केरोसिन की कीमत डीजल से कम थी तब तक ग्वालियर में केरोसिन बिकता रहा। खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के अनुसार जून और जुलाई में डिमांड न आने के कारण डिपो से ही केरोसिन नहीं उठाया गया। नतीजा, दोनों महीनों का कोटा लैप्स हो गया है।
सब्सिडी खत्म होने से बढ़ गई कीमत
- ग्वालियर में 2 लाख 37 हजार 990 राशन कार्ड धारक हैं और प्रत्येक कार्ड पर 1 लीटर केरोसिन हर महीने दिया जाता है। खाद्य आपूर्ति विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जून और जुलाई में एक भी परिवार ने केरोसिन नहीं लिया। इन दो महीनों में 4 लाख 75 हजार 980 लीटर केरोसिन का आवंटन लैप्स हो चुका है। फिलहाल अधिकारी अगला आवंटन भी शासन से नहीं मांग रहे।
- केंद्र सरकार ने केरोसिन पर मिलने वाली सब्सिडी 1 अप्रैल 2021 से बंद कर दी है। जिसके बाद लगातार केरोसिन की कीमत बढ़ती ही जा रही है। और अब ये स्थिति है कि केरोसिन की कीमत शतक पार कर चुकी है। इस कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो फिलहाल ये कीमतें सिर्फ बढ़ेंगी ही, इनमें कमी के आसार नहीं है।
- केरोसिन के दाम डीजल से ज्यादा होने के कारण इसकी कालाबाजारी और मिलावट का खेल भी बंद हो गया है। पहले डीजल की कीमत ज्यादा होने और केरोसिन सस्ता होने से मिलावटखोरी का धंधा खूब चलता था। वहीं उज्जवला गैस कनेक्शन और बिजली की पर्याप्त आपूर्ति का भी इसपर असर पड़ा है।
- केरोसिन महंगा होने का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर हुआ है। क्योंकि, ग्रामीण ही केरोसिन सबसे ज्यादा लेते हैं और इसका कारण ये है कि उन्हें चूल्हे से लेकर चिमनी, लालटेन आदि तक के लिए केरोसिन की जरुरत होती है। फैक्ट्रियों पर इन कीमतों का इसलिए असर नहीं हो रहा। क्योंकि, उनमें सफेद केरोसिन का उपयोग किया जाता है।