
उज्बेकिस्तान के समरकंद में 15 से 16 सितंबर तक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन का आयोजन किया जाना है। यह सदस्य राज्यों के प्रमुखों की परिषद का 22 वां शिखर सम्मेलन है। आखिरी एससीओ सम्मेलन साल 2019 में बिश्केक में आयोजित किया गया था। जिसके बाद कोविड महामारी के कारण पिछले दो सालों के दौरान रूस और ताजिकिस्तान की अध्यक्षता में वर्चुअल तौर पर समिट का आयोजन किया गया।
समरकंद में आयोजित एससीओ सम्मेलन में पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर है। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के प्रति भारत के रुख से दोनों देशों के संबंध और भी अधिक प्रगाढ़ हो गए है। जब पश्चिमी देश रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रहे थे, ऐसे वक्त में भारत ने यूएनएससी में रूस के खिलाफ कई प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहकर उसकी परोक्ष तौर पर मदद ही की।
अगले वर्ष भारत करेगा शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता
समरकंद में आयोजित होने जा रहा आज का एससीओ सम्मेलन कई मायनों में खास है। सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की उपस्थिति ने मीडिया में पर्याप्त चर्चा को आकर्षित किया है। ऐसे में शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की उपस्थिति भारत द्वारा अगले वर्ष शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता ग्रहण करने की पृष्ठभूमि में समान रूप से प्रासंगिक हो जाती है।
पीएम मोदी और पुतिन की द्विपक्षीय वार्ता पर सबकी नजरें
समरकंद में आयोजित एससीओ सम्मेलन में पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर है। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के प्रति भारत के रुख से दोनों देशों के संबंध और भी अधिक प्रगाढ़ हो गए है। जब पश्चिमी देश रूस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रहे थे, ऐसे वक्त में भारत ने यूएनएससी में रूस के खिलाफ कई प्रस्तावों पर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहकर उसकी परोक्ष तौर पर मदद ही की। अगले वर्ष जी-20 देशों के संगठन की अगुवाई भारत करेगा और साथ ही शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अगुवाई भी भारत करने वाला है। इन दोनों अहम सम्मेलनों में रूस को कई स्तर पर भारत की मदद चाहिए।