Varanasi: ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े सात मामलों की सुनवाई आज

ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े सात मामलों की सुनवाई आज होगी। सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट ) महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरन सिंह ने अर्जी दाखिल कर ज्ञानवापी परिसर भगवान आदि विश्वेश्वर को सौंपने की मांग की है। 

अविमुक्तेश्वर भगवान की ओर से दिल्ली निवासी हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता, खजुरी निवासी अजीत सिंह के प्रार्थना पत्र पर भी इसी अदालत में सुनवाई होगी। इसमें ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के नियमित दर्शन-पूजन की मांग की गई है। पर्यावरणविद प्रभुनारायण की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर भी इसी अदालत में सुनवाई होनी है।

इसमें भी ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के पूजा-अर्चना की मांग की गई है। ज्योर्तिलिंग आदिविश्वेश्वर विराजमान की ओर से अनुष्का तिवारी व इंदु तिवारी ने भी याचिका दाखिल की है। इस पर भी सुनवाई होगी। भेलूपुर निवासी विवेक सोनी की ओर से  दाखिल अर्जी पर भी सुनवाई होनी है। इसी अदालत में गुरुवार को  मुख्तार अहमद  अंसारी  और अन्य चार वादी  की तरफ से दाखिल वाद  पर सुनवाई होगी। 

ज्ञानवापी से जुड़े सभी मामलों को एक साथ करने को लेकर भी सुनवाई

ज्ञानवापी आदि विश्वेश्वर मामले में किरन सिंह की तरफ  से दाखिल वाद  की सुनवाई श्रृंगार गौरी मूल वाद  के साथ करने  के आवेदन  पर जिला जज की अदालत में गुरुवार को सुनवाई होगी। इसी मामले की वादिनी लक्ष्मी देवी समेत चार  महिलाओं की तरफ से सुप्रीमकोर्ट के अधिवक्ता  विष्णु जैन ने दलील रखी थी।

उन्होंने कहा था कि ज्ञानवापी से संबंधित मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित कर एक साथ  सुनवाई की जाए। क्योंकि सभी मुकदमों में विधि व तथ्य समान है। सभी  मुकदमों क़ो एक साथ सुना जाना चाहिए। किरन सिंह  की तरफ से भी जवाब में दलील रखना शुरू कर दिया गया था।

अधिवक्ताओं  में मानबहादुर सिंह, शिवम  गौड़, अनुपम द्विवेदी की दलील थी  कि इन महिला  वादियों को स्थानांतरण आवेदन देने का  कोई अधिकार  नहीं है। किसी अन्य मुकदमे में पक्षकार भी नहीं हैं। ऐसे में सीपीसी की धारा 24 में स्थानांतरण आवेदन  देने का  कोई अधिकार  नहीं है। सभी  मुकदमों में पक्षकार अलग अलग हैं । किरन सिंह  की तरफ से दाखिल वाद में भगवान आदि विश्वेश्वर को ज्ञानवापी का मलिकाना हक दिए जाने की मांग की गई है।

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