
उत्तराखंड महिला मंच अंकिता हत्याकांड मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा। हाईकोर्ट इस मांग को खारिज कर चुका है। मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट का आरोप है कि मामले में प्रशासन और पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है।
महिला मंच की संयोजक निर्मला बिष्ट के मुताबिक मंच ने राष्ट्रीय स्तर पर महिला अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठनों की महिलाओं के साथ मिलकर अंकिता हत्याकांड मामले की जांच की। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक आदि राज्यों की महिलाओं के जांच दल ने अलग-अलग समूहों में बंटकर 27 से 29 अक्टूबर तक प्रकरण की जांच की।
इस दौरान अंकिता के गांव डोब श्रीकोट (पौड़ी गढ़वाल) और ऋषिकेश में घटना स्थलों, अंकिता के माता-पिता व उसके गांव के लोगों, श्रीनगर में आंदोलन कर रहे जनसंगठनों, ऋषिकेश की कोयल घाटी में चल रहे धरना में शामिल लोगों से मुलाकात की गई। इसके अलावा घटना स्थल व आस-पास के होटलों, गंगा-भोगपुर के ग्रामीणों के साथ बातचीत की गई। इसके बाद पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है।
अंकिता की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करने में की थी आनाकानी
जांच में पता चला है कि पुलिस ने अंकिता की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी की। घटना के 72 घंटे के बाद रिपोर्ट दर्ज हुई। यह तथ्य भी सामने आया कि रिजाॅर्ट में मौजूद एक वीआईपी को विशेष सेवा देने से इन्कार करने पर रिजार्ट के मालिक ने अपने दो कर्मचारियों की मदद से हत्या को अंजाम दिया। मुख्य आरोपी पुलकित का पिता विनोद आर्य भाजपा सरकार में दर्जाधारी मंत्री रहा है। उसका सत्ता से सीधा संबंध रहा है, इसीलिए शुरूआत से ही इस मामले में प्रशासन और पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही।