
पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी व उसके बाद बने हालात से जम्मू-कश्मीर में खतरा और बढ़ गया है। गृहयुद्ध जैसे हालात से ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तानी सेना व पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी इंटर सर्विसेस इंटेलीजेंस (आईएसआई) की ओर से नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसी बड़ी साजिश को अंजाम दिया जा सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सतर्कता बरतने के साथ ही पाकिस्तान की स्थिति पर पैनी नजर रखी जानी चाहिए। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार कश्मीर में इसी महीने जी20 की प्रस्तावित बैठक से वैसे ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। उसने इस पर आपत्ति भी दर्ज कराई है।
अब इमरान की गिरफ्तारी के बाद वहां सड़कों पर प्रदर्शन, सैन्य अधिकारियों के घर पर हमला से स्थिति बिगड़ती नजर आ रही है। लोगों का गुस्सा वहां की सेना के खिलाफ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान स्थानीय लोगों तथा देश-विदेश का ध्यान भटकाने के लिए जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले करवा सकता है।
सैन्य प्रतिष्ठानों के अलावा सैन्य स्कूलों, सुरक्षा बलों के वाहनों, महत्वपूर्ण स्थलों को निशाना बनाने की साजिश की जा सकती है। इसमें ड्रोन के साथ ही फिदायीनों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सबसे अधिक खतरा जम्मू संभाग से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा तथा पुंछ, राजोरी व जम्मू के अन्य इलाकों में एलओसी पर है। पुंछ तथा राजोरी हमले के बाद लगातार आतंकी साजिश तथा संदिग्धों को देखे जाने के इनपुट मिल रहे हैं। खतरे को भांपते हुए पुंछ, अखनूर, जम्मू, कठुआ के सैन्य स्कूलों को बंद कर दिया गया है।
अपना घर और अस्तित्व बचाने में जुटेंगे सेना व आईएसआई
जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी डॉ. एसपी वैद का मानना है कि पाकिस्तान में बने हालात से दो स्थितियां पैदा होती दिख रही हैं। एक तो वह अपना ध्यान भटकाने के लिए पड़ोसी मुल्क में कोई बड़ी वारदात करा सकता है। इसलिए पूरी सतर्कता व पूरी तैयारी के साथ स्थिति पर पैनी निगाह बनाए रखनी है।
दूसरा यह कि उसे अपना घर बचाने की चिंता होगी। ऐसे में वह अपना पूरा ध्यान हालात को काबू करने में लगाएगा। वहां के हालात से सेना तथा आईएसआई के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि लोगों का गुस्सा सेना के खिलाफ है। पूर्व डीजीपी का मानना है कि पाकिस्तान में बने हालात से कश्मीर में प्रस्तावित जी20 की बैठक पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।