Uniform Civil Code: पीएम मोदी के बयान से UCC विरोधियों में हलचल

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद सियासी हलचल बढ़ गई है। यूसीसी लागू होने के संकेत से सबसे अधिक चिंतित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) है। दरअसल, बाध्यकारी न होने के बावजूद बोर्ड शरीयत के आधार पर मुसलमानों में विवाह, तलाक, विरासत जैसे मामले में  नियम तय करता है। ऐसे में यूसीसी के बाद बोर्ड की प्रासंगिकता खत्म होने के कारण अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि यूसीसी पर पीएम ने मुस्लिम समाज को बरगलाने का जो आरोप लगाया था, उसमें इशारा इसी ओर था।  दरअसल एआईएमपीएलबी संवैधानिक या मान्य संस्था न होकर एक गैर सरकारी संस्था की तरह है। इसके निर्णय बाध्यकारी नहीं हैं। हालांकि, एआईएमपीएलबी अल्पसंख्यक समुदाय में सुधारों का धुर विरोधी रहा है। तीन तलाक पर कानून का इसी ने सबसे ज्यादा विरोध किया था।

शिमला में होगा मंथन
विपक्ष को यूसीसी के सीधे विरोध में बहुसंख्यक समुदाय के भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण का डर सता रहा है। विपक्षी एकता के लिए एक मंच पर आने की कोशिशों में जुटे दल 12 जुलाई को शिमला में होने वाली बैठक में इस पर चर्चा करेंगे।

बीते साल शीत सत्र में भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने यूसीसी इन इंडिया-2020 नाम से निजी विधेयक पेश किया था। चर्चा मेंे कांग्रेस व तृणमूल ने इसका विरोध किया, मगर मत विभाजन के दौरान इन दोनों समेत कई दलों ने इससे दूरी बना ली। इसके पक्ष में 63 व विरोध में 23 मत पड़े थे।

इसलिए बुलाई आपात बैठक
पीएम की यूसीसी पर घोषणा के बाद एआईएमपीएलबी ने मंगलवार की रात आपात बैठक बुलाई। यूसीसी को शरीयत के खिलाफ और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताते हुए अपनी ओर से एक मसौदा तैयार कर विधि आयोग को सौंपने का फैसला किया।

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