Criminal Laws : 1 जुलाई से केंद्र सरकार ने कई नए कानून को आईपीसी की धारा में शामिल किया है. कई ऐसे कानून हैं जिनको हटा दिया गया है या फिर उनमें संशोधन हुआ है. उत्तराखंड हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे युवा एडवोकेट शिव वर्मा ने बताया ब्रिटिश कालीन पुलिस कानून में तकरीबन 576 अलग-अलग तरह के सेक्शन थे, जिन्हें अब संशोधित कर के 356 कर दिया गया है. इसके अलावा 175 धाराएं ऐसी थी जिनमें रिफॉर्म की जरूरत थी. इन्हें संशोधित करके आज के समय के अनुसार रेलीवेंट बनाया गया है. वहीं इसके अलावा आठ नहीं महत्वपूर्ण धाराएं आईपीसी कानून में जोड़ी गई हैं, 22 सेक्शन हटाए गए हैं.महिला सुरक्षा के लिए खास तौर से कई नए सख्त प्रावधान किए गए हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा अगर सामाजिक रिश्तों की बात करें तो फॉल्स प्रोमाइजेज और रिलेशनशिप संबंधित भी कई नए प्रावधान किए गए हैं.
- सुनवाई और फैसला: आपराधिक मामलों में सुनवाई खत्म होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा। पहली सुनवाई के 60 दिनों में आरोप तय होंगे।
- गवाहों की सुरक्षा: सभी राज्य सरकारें गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करेंगी।
- महिला सुरक्षा: बलात्कार पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज होंगे और मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों में पूरी होगी।
- नाबालिगों की सुरक्षा: सामूहिक बलात्कार पर मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
- फ्री मेडिकल ट्रीटमेंट: महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों में अस्पतालों को मुफ्त इलाज देना होगा।
- दस्तावेज की कॉपी: आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों में एफआईआर और अन्य दस्तावेजों की कॉपी मिलेगी।
- इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्टिंग: घटनाओं की रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक संचार से की जा सकेगी।
- फोरेंसिक विशेषज्ञ: गंभीर अपराधों में फोरेंसिक विशेषज्ञ घटनास्थल पर जाकर साक्ष्य जुटाएंगे।
- लिंग की परिभाषा: लिंग की परिभाषा में ट्रांसजेंडर भी शामिल होंगे।
- महिला मजिस्ट्रेट: महिलाओं के खिलाफ अपराधों में पीड़ित का बयान महिला मजिस्ट्रेट दर्ज करेगी।