
महाकुंभ 2025 के दौरान कार्डियक अरेस्ट से तीन लोगों की जान सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) से बचाई गई, जो इसके महत्व को साबित करता है। मेला क्षेत्र में यह घटना हुई, जहां आह्वान अखाड़े के महंत अजय गिरि, महंत ननकू गिरि और एक महिला को समय पर सीपीआर देने से उनकी जान बचाई गई। मकर संक्रांति के पर्व पर जब अमृत स्नान के लिए शोभायात्रा निकाली जा रही थी, उसी दौरान महंत अजय गिरि रथ पर बैठे-बैठे अचानक अचेत हो गए। यह देख सभी हैरान थे और समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें। तभी केंद्रीय अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग में तैनात लैब टेक्नीशियन अजय शुक्ला वहां से गुजर रहे थे और उन्होंने तुरंत महंत अजय गिरि को रथ पर ही सीपीआर देना शुरू किया। सीपीआर से महंत को होश आ गया और फिर उन्हें एंबुलेंस से केंद्रीय अस्पताल भेजा गया। इसके बाद एक और मामला सामने आया जब महिला संध्या देवी (66) को बृहस्पतिवार की शाम केंद्रीय चिकित्सालय लाया गया। महिला की हालत बेहद गंभीर थी, उनका शुगर लेवल बहुत कम था और ऑक्सीजन लेवल भी 43 तक पहुंच गया था। डॉ. आशुतोष यादव और उनकी टीम ने तत्परता से महिला को सीपीआर दिया और उनकी जान बचाई। तीसरी घटना मेला के सेक्टर दो स्थित केंद्रीय चिकित्सालय में हुई, जहां महंत ननकू गिरि (35) को आईसीयू वार्ड में लाया गया। उनकी पल्स और हार्ट बीट का कोई पता नहीं चल रहा था। डॉ. सिद्धार्थ पांडेय और उनकी टीम ने उन्हें करीब 12 मिनट तक सीपीआर दिया और उनकी जान बचाई। इस प्रकार सीपीआर का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि इसके माध्यम से कार्डियक अरेस्ट के मरीज का दिल फिर से धड़कने लगता है, और उसके बाद यदि उसे सही इलाज मिले तो उसकी जान बचाई जा सकती है। डॉ. वैशाली सिंह, आईसीयू इंचार्ज, सेक्टर 24 उपकेंद्रीय चिकित्सालय ने कहा कि सीपीआर की जानकारी होना सभी के लिए जरूरी है, ताकि संकट के समय सही तरीके से मदद की जा सके।