
उत्तराखंड में पहली बार राज्य सरकार झरनों की संगणना (गिनती) करने जा रही है, जिससे राज्य के प्राकृतिक संसाधनों की बेहतर समझ और संरक्षण में मदद मिलेगी। राज्य के पर्यटन और वन विभाग ने इस कार्य के लिए तैयारी शुरू कर दी है। झरनों की गिनती के बाद यह जानकारी इकट्ठा की जाएगी, जिससे न केवल पर्यटकों के लिए बेहतर योजनाएं बनाई जा सकेंगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर भी ठोस कदम उठाए जा सकेंगे।
यह कदम राज्य के जलवायु, पारिस्थितिकी और पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य में कई खूबसूरत झरने हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं और स्थानीय लोगों के लिए भी जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं। अब तक इन झरनों का कोई संगठित डेटा उपलब्ध नहीं था, लेकिन इस गिनती के बाद राज्य सरकार को इन झरनों की संख्या, उनके स्थान, जल स्रोत और पर्यावरण पर उनके प्रभाव के बारे में सटीक जानकारी मिलेगी।
विभाग ने इस योजना के तहत विशेषज्ञों की टीम गठित की है, जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित झरनों की सर्वेक्षण और गिनती करेगी। इस प्रक्रिया से प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल न केवल पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने में होगा, बल्कि जल प्रबंधन और संरक्षण के प्रयासों में भी किया जाएगा। झरनों की गिनती के बाद, राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत इन झरनों के आसपास पर्यावरणीय संवर्धन और जल संचयन की योजनाओं पर काम कर सकती है। इस पहल से उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों की स्थायित्व और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा।