
महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई सियासी हलचल पैदा हो गई है, जब शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे, और यह जानकारी तब सामने आई जब कांग्रेस के राज्य प्रमुख नाना पटोले ने शिंदे को पार्टी में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। इस बयान ने सियासी गलियारों में कोहराम मचा दिया है और महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।संजय राउत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे कांग्रेस के संपर्क में थे और वे पार्टी में शामिल होना चाहते थे। राउत ने यह भी कहा कि नाना पटोले, जो कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं, ने शिंदे को कांग्रेस में शामिल करने का ऑफर दिया था, लेकिन शिंदे ने बाद में शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ ही रहने का निर्णय लिया। इस खुलासे से राज्य की सियासत में नया मोड़ आया है, क्योंकि एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री बनना और उनकी शिवसेना से अलग गुट बनाना महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक बड़ा घटनाक्रम था।संजय राउत के इस बयान से पहले, कांग्रेस पार्टी की ओर से भी शिंदे को लेकर कई तरह के संकेत मिले थे। नाना पटोले का ऑफर खासा दिलचस्प था, क्योंकि कांग्रेस राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किसी भी अवसर को खोना नहीं चाहती। शिंदे की शिवसेना छोड़ने और भाजपा से जुड़ने के बाद, कांग्रेस ने एक संभावना के रूप में उन्हें अपनी पार्टी में लाने की कोशिश की थी।हालांकि, एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस का प्रस्ताव ठुकरा दिया और भाजपा के साथ गठबंधन करके मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शिंदे के इस कदम ने शिवसेना के भीतर एक गहरी राजनीतिक खाई पैदा कर दी, जिससे पार्टी का विभाजन हुआ और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शिंदे के साथ चला गया। इस विभाजन के बाद, शिंदे को महाराष्ट्र में भाजपा का समर्थन प्राप्त हुआ, जिससे वे मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनके कांग्रेस में शामिल होने की बात अब एक नया सियासी विवाद बन गई है।संजय राउत ने यह भी कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को यह समझना चाहिए कि एकनाथ शिंदे ने अपनी राजनीतिक दिशा बदलने के बाद भी अपना रुख स्पष्ट किया है, और उनका कांग्रेस में शामिल होने का विचार अब समाप्त हो चुका है। राउत ने यह आरोप भी लगाया कि शिंदे ने सत्ता प्राप्त करने के लिए इस तरह की राजनीतिक चालें चलीं, जिससे महाराष्ट्र में सरकार की स्थिरता पर सवाल उठने लगे हैं।इस खुलासे के बाद से राज्य में राजनीतिक माहौल गरम हो गया है, और शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता अब कांग्रेस के साथ नए समीकरण बनाने के बारे में सोच सकते हैं। शिंदे का कांग्रेस से जुड़ने का प्रस्ताव और उनके बाद की राजनीतिक स्थिति ने भाजपा, कांग्रेस और शिवसेना के भीतर नई रणनीतियों की तलाश को जन्म दिया है।इस मामले में अब देखना यह होगा कि कांग्रेस पार्टी और शिंदे के समर्थक इस बयान पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं। नाना पटोले के प्रस्ताव और शिंदे के फैसले के बाद महाराष्ट्र में आगामी चुनावों की दिशा पर इसका क्या असर होगा, यह भी एक बड़ा सवाल बन गया है।