
अयोध्या: अयोध्या में 6 अप्रैल को रामलला का ऐतिहासिक सूर्य तिलक होने जा रहा है, जो एक विशेष धार्मिक और वैज्ञानिक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है। यह तिलक दिन में दोपहर 12 बजे होगा, और इस दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बढ़ गया है। इस सूर्य तिलक की प्रक्रिया को लेकर वैज्ञानिकों की एक टीम भी अयोध्या पहुंच चुकी है और उन्होंने इस तिलक के सही समय की गणना के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। रामलला के सूर्य तिलक की प्रक्रिया हर साल बढ़ते समय के साथ संपन्न होगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह तिलक सूर्य के खास स्थान पर आधारित होगा, और जैसे-जैसे सालों के साथ पृथ्वी की स्थिति बदलती है, वैसे-वैसे सूर्य के तिलक का समय भी बढ़ेगा। यह तिलक एक प्रकार से सूर्य के साथ धार्मिक और खगोलशास्त्रीय तालमेल स्थापित करने की कोशिश है, जो हिंदू धर्म की प्राचीन परंपराओं और खगोलशास्त्र के बीच के संबंध को भी दर्शाता है। इस कार्य के लिए खास रूप से खगोलशास्त्रियों और धार्मिक विशेषज्ञों की एक टीम ने मिलकर इस तिथि और समय की सटीक गणना की है। यह तिलक सूर्य की गति और उसके विशेष प्रभावों पर आधारित होगा, और हर वर्ष इसका समय एक निर्धारित राशि से बढ़ेगा। इस कार्यक्रम के आयोजन से न केवल अयोध्या में धार्मिक महत्ता बढ़ेगी, बल्कि यह देशभर में एक नई धार्मिक और वैज्ञानिक जागरूकता का भी प्रसार करेगा। आध्यात्मिक नेताओं और श्रद्धालुओं के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा, जो उनके विश्वास और धार्मिक आस्थाओं को नया आयाम देगा। इस तिलक समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक भी शामिल होंगे। इस मौके पर अयोध्या में विशेष धार्मिक आयोजन और पूजा का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें सूर्य के विशेष प्रभावों को महसूस करने की कोशिश की जाएगी। यह तिलक न केवल अयोध्या बल्कि समूचे हिंदू समुदाय के लिए एक अनोखा और गौरवपूर्ण अवसर होगा, जो सूर्य और धर्म के एक साथ जुड़ने का प्रतीक बनेगा। आने वाले वर्षों में जब यह तिलक हर साल बढ़ते समय के साथ होगा, तब यह धार्मिक यात्रा और भी महान बन जाएगी, और यह निश्चित रूप से अयोध्या को एक नया पहचान दिलाएगा।