
भारत में वन अतिक्रमण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिससे न केवल पर्यावरण पर असर पड़ रहा है, बल्कि इसके कारण वन्यजीवों और आदिवासी समुदायों के जीवन भी प्रभावित हो रहे हैं। सरकार द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन क्षेत्रों पर अतिक्रमण की घटनाएं देखी जा रही हैं, और मध्य प्रदेश (MP) और असम इन राज्यों में सबसे अधिक प्रभावित हैं।वन मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया है कि देशभर में लाखों हेक्टेयर वन भूमि पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा किया गया है। ये अतिक्रमण मुख्य रूप से कृषि, आवासीय और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश और असम में अतिक्रमण की दर अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इन क्षेत्रों में अतिक्रमण की बढ़ती प्रवृत्ति की वजह से वन्यजीवों के लिए खतरा बढ़ गया है, साथ ही जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन की स्थिति भी गंभीर हो रही है।मध्य प्रदेश में वन अतिक्रमण की समस्या का प्रमुख कारण कृषि भूमि के विस्तार के लिए जंगलों की भूमि का अवैध रूप से उपयोग करना है। असम में भी जंगलों की जमीन पर कब्जा करके उन पर खेती की जा रही है, विशेष रूप से ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास के इलाकों में। इन दोनों राज्यों में सरकार द्वारा कई बार अतिक्रमण हटाने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन इन प्रयासों के बावजूद अतिक्रमण की समस्या जस की तस बनी हुई है।वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने कई क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अक्सर यह कार्रवाई कमजोर पड़ जाती है, क्योंकि स्थानीय लोग अपनी आजीविका के लिए इन क्षेत्रों पर निर्भर रहते हैं। वहीं, वनों में अतिक्रमण करने वालों में कई बार स्थानीय आदिवासी और गरीब लोग भी होते हैं, जो बिना वैध अनुमति के भूमि का उपयोग करते हैं।इस बढ़ते अतिक्रमण के कारण वन्यजीवों के आवास पर भी प्रभाव पड़ा है। कई क्षेत्रों में तेंदुआ, हाथी और बाघ जैसे संरक्षित प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है। इसके अलावा, प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती कमी, जैसे पानी और जंगल से प्राप्त होने वाली अन्य वस्तुएं, स्थानीय समुदायों के लिए संकट पैदा कर रही हैं।सरकार ने अतिक्रमण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है। वन मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे वन क्षेत्र में अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और वन संरक्षण के लिए सख्त नियम लागू करें। इसके अलावा, वन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, ताकि लोगों को समझाया जा सके कि वन भूमि का अतिक्रमण पर्यावरण और जीवों के लिए कितना हानिकारक है।विशेषज्ञों का मानना है कि वन अतिक्रमण को पूरी तरह से रोकने के लिए सामाजिक और कानूनी दोनों स्तरों पर काम करना होगा। स्थानीय समुदायों को जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि वे वन भूमि के महत्व को समझ सकें और गैरकानूनी अतिक्रमण से बचें। साथ ही, सरकार को अधिक कड़े नियम और उपायों को लागू करने की आवश्यकता है, ताकि वन संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन बनाए रखा जा सके।इस मामले पर सख्ती से कार्रवाई करने के लिए सरकार ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया है कि वे अतिक्रमण की बढ़ती समस्या को गंभीरता से लें और इसे रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाएं।