“देहरादून और हरिद्वार में कुट्टू के आटे से 363 लोग बीमार, कई दुकानों पर छापेमारी; सहारनपुर से था आटा”

उत्तराखंड के देहरादून और हरिद्वार में कुट्टू के आटे से बने व्यंजन खाने के बाद 363 लोग बीमार हो गए हैं, जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यह घटना हाल ही में सामने आई है, जब इन दोनों शहरों में कुट्टू के आटे से बने विभिन्न व्यंजन खाने के बाद लोगों को उल्टी, दस्त, पेट दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो गईं। बीमार पड़ने वाले अधिकांश लोग त्योहारों के दौरान कुट्टू के आटे से बने पकवानों का सेवन कर रहे थे, जो खासतौर पर उपवास के समय लोकप्रिय होते हैं।स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बीमार लोगों को तुरंत अस्पतालों में भर्ती कराया गया और उनका उपचार जारी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने छानबीन के आदेश दिए और खाद्य सुरक्षा विभाग ने इस संदर्भ में कार्रवाई शुरू कर दी। जांच में यह सामने आया कि यह आटा सहारनपुर से मंगवाया गया था और यह संदिग्ध तरीके से मिला था, जिससे यह संदेह पैदा हुआ कि आटे में किसी प्रकार की मिलावट या उसे खराब किया गया था।स्वास्थ्य अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए देहरादून और हरिद्वार के विभिन्न इलाकों में स्थित कुट्टू के आटे से बने व्यंजन बेचने वाली दुकानों पर छापेमारी की। इन छापेमारी में खाद्य सुरक्षा और ड्रग्स विभाग ने उन दुकानों से आटे के नमूने लिए और उन्हें जांच के लिए लैब भेजा। अधिकारियों का कहना है कि आटे में किसी प्रकार की मिलावट, फफूंदी या अन्य हानिकारक पदार्थों की मौजूदगी की संभावना है, जिसकी जांच की जा रही है।विभाग ने कहा कि कुट्टू के आटे से बने व्यंजन खाने के बाद जिन लोगों को बीमारियां हुईं, उनका इलाज जारी है और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क है। बीमार लोगों में अधिकतर उपवासी महिलाएं और बच्चे थे, जो कुट्टू के आटे से बने पकवानों का सेवन कर रहे थे।स्थानीय प्रशासन ने सभी दुकानदारों को निर्देश दिए हैं कि वे खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान दें और किसी भी प्रकार की मिलावट से बचें। इसके अलावा, लोगों को खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की योजना बनाई गई है।इस घटना के बाद, स्थानीय लोग आटा और अन्य खाद्य सामग्री की खरीददारी में सतर्क हो गए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे पैकिंग पर दिए गए उत्पादन और समाप्ति तारीखों की जांच करें और केवल प्रमाणित दुकानों से ही खाद्य सामग्री खरीदें।अब राज्य सरकार और खाद्य सुरक्षा विभाग इस मामले की जांच में जुटे हुए हैं और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में ऐसी घटना न हो। इस घटना ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को एक बार फिर से सार्वजनिक बहस का हिस्सा बना दिया है और उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

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