
वक्फ कानून की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई 16 अप्रैल को, उठेंगे कई संवैधानिक सवाल
विवादों में घिरे वक्फ अधिनियम, 1995 की वैधता को लेकर दायर याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की तारीख 16 अप्रैल निर्धारित की है, जिस दिन देश की सबसे बड़ी अदालत में यह तय किया जाएगा कि वक्फ कानून भारत के संविधान की कसौटी पर कितना खरा उतरता है। इस मामले को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है कि क्या वक्फ अधिनियम धर्मनिरपेक्ष संविधान के प्रावधानों के साथ मेल खाता है या नहीं।याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वक्फ अधिनियम 1995 देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे और समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। उनका तर्क है कि इस कानून के माध्यम से एक विशेष समुदाय को भूमि, संपत्ति और धार्मिक स्थलों पर अनियंत्रित अधिकार दे दिया गया है, जबकि अन्य समुदायों के साथ ऐसा नहीं है। याचिकाओं में यह भी आरोप लगाया गया है कि वक्फ बोर्डों को “असमान अधिकार” प्राप्त हैं, जिससे भूमि और संपत्ति संबंधी विवादों में पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित होती है।उल्लेखनीय है कि पूरे देश में वक्फ बोर्डों के पास लाखों एकड़ जमीन है, जिनमें से कई संपत्तियों को लेकर विवाद चल रहे हैं। वक्फ अधिनियम के तहत वक्फ बोर्डों को विशेष शक्तियां दी गई हैं, जिनमें संपत्ति को “वक्फ” घोषित करने का अधिकार भी शामिल है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इन अधिकारों का इस्तेमाल कई बार बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के किया गया है, जिससे मूल मालिकों को उनकी संपत्तियों से बेदखल कर दिया गया।इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे संवैधानिक महत्व का मुद्दा माना है और विस्तृत सुनवाई के आदेश दिए हैं। अदालत यह भी जांचेगी कि क्या वक्फ अधिनियम समान नागरिक संहिता की भावना के खिलाफ है, और क्या यह कानून एक विशेष समुदाय के पक्ष में झुकाव रखता है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट सहित कई अदालतों में इस अधिनियम को लेकर याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं, लेकिन अब पहली बार सर्वोच्च न्यायालय इस पर अपना रूख स्पष्ट करेगा।सरकार की ओर से अभी तक इस विषय पर कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन यह माना जा रहा है कि 16 अप्रैल की सुनवाई में केंद्र सरकार को भी अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखना होगा। यदि सुप्रीम कोर्ट वक्फ अधिनियम को असंवैधानिक ठहराता है, तो यह फैसला देशभर में चल रहे हजारों वक्फ मामलों पर असर डालेगा। वक्फ कानून की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली यह सुनवाई न केवल कानूनी दृष्टि से अहम है, बल्कि यह देश में धर्म और कानून के संतुलन, संपत्ति अधिकारों की रक्षा और समान नागरिक अधिकारों की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है। 16 अप्रैल की तारीख पर अब पूरे देश की नजरें टिकी होंगी, क्योंकि अदालत का यह फैसला भारत के संवैधानिक ढांचे और भविष्य की सामाजिक-धार्मिक नीतियों पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।