
राजनाथ सिंह का बड़ा बयान: “उभरती तकनीकें बदल रही हैं युद्ध का स्वरूप, अब लड़ाईयां बिना गोली चलाए जीती जा रही हैं”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति पर एक अहम और चिंतनशील बयान देते हुए कहा है कि आज की लड़ाईयां अब पारंपरिक गोलियों और बमों से नहीं, बल्कि तकनीक, डेटा और साइबर क्षमता के दम पर लड़ी और जीती जा रही हैं। उनका यह बयान रक्षा रणनीति के भविष्य, साइबर वॉरफेयर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी उभरती तकनीकों के बढ़ते महत्व की ओर संकेत करता है।राजनाथ सिंह ने कहा कि जहां एक समय युद्ध का अर्थ सीमा पर टैंकों की गर्जना और सैनिकों की आमने-सामने की टक्कर से था, वहीं आज “वॉरफेयर” का चेहरा पूरी तरह बदल चुका है। अब युद्ध के मोर्चे डिजिटल होते जा रहे हैं—जहां साइबर हमले, ड्रोन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक जामिंग, और सूचना युद्ध (Information Warfare) जैसे तत्व निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “आज ऐसी स्थिति बन चुकी है कि बिना गोली चलाए भी दुश्मन को हराया जा सकता है।”रक्षा मंत्री का यह बयान न केवल भारत की सुरक्षा रणनीति में हो रहे परिवर्तन की ओर इशारा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अब भविष्य की जंगों के लिए साइबर डिफेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और स्वार्म ड्रोन टेक्नोलॉजी जैसी अत्याधुनिक क्षमताओं को विकसित करने में तेजी से अग्रसर है।
डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता और तकनीकी नवाचार पर ज़ोर
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और निर्यातक बनने की दिशा में काम कर रहा है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में भी स्वदेशी उत्पादन पर ज़ोर दिया जा रहा है, जिससे भारत को रणनीतिक रूप से स्वतंत्र और मजबूत बनाया जा सके।उन्होंने कहा कि देश को आज ऐसे सैनिकों की जरूरत है जो न केवल बंदूक चलाना जानते हों, बल्कि कंप्यूटर कोड, ड्रोन ऑपरेशन और साइबर सुरक्षा में भी दक्ष हों। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे तकनीक के क्षेत्र में आगे आएं और भारत की सुरक्षा में डिजिटल योद्धाओं की भूमिका निभाएं।
सुरक्षा की परिभाषा का विस्तार
राजनाथ सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि आज के समय में सुरक्षा केवल सीमा की रक्षा तक सीमित नहीं है। अब इसमें डेटा सुरक्षा, संचार प्रणाली की अखंडता, आर्थिक ढांचे की रक्षा, और सोशल मीडिया की निगरानी भी शामिल हो चुकी है। यह सब मिलकर एक ऐसे युद्धक्षेत्र की तस्वीर पेश करते हैं जो अदृश्य है, लेकिन उतना ही खतरनाक।रक्षा मंत्री का यह बयान केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि आने वाले समय के लिए एक रणनीतिक दिशानिर्देश है। यह स्पष्ट करता है कि युद्ध अब केवल हथियारों से नहीं लड़े जाएंगे, बल्कि बुद्धिमत्ता, डेटा और तकनीकी श्रेष्ठता ही जीत का रास्ता तय करेंगी। भारत को एक ऐसी शक्ति के रूप में विकसित करने की दिशा में, जो तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी हो, यह सोच और तैयारी समय की मांग है। और इसमें कोई शक नहीं कि भारत सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है।