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सर्वे ऑफ इंडिया ने जारी किया उत्तराखंड का नया नक्शा, 17 साल बाद बड़ा बदलाव - The Indian Exposure

सर्वे ऑफ इंडिया ने जारी किया उत्तराखंड का नया नक्शा, 17 साल बाद बड़ा बदलाव

देहरादून। उत्तराखंड राज्य के लिए आज का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब 17 साल के लंबे इंतजार के बाद राज्य का नया आधिकारिक नक्शा जारी कर दिया गया। सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किए गए इस नक्शे को आधिकारिक रूप से राज्य सरकार को सौंपा गया। यह नया नक्शा न केवल राज्य की भौगोलिक सीमाओं को अधिक स्पष्ट और अद्यतन रूप से दर्शाता है, बल्कि कई तकनीकी और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उत्तराखंड, जिसे 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग कर पृथक राज्य का दर्जा मिला था, तब से अब तक नक्शे के कई प्रारूप प्रचलन में थे। पिछली बार 2007 में नक्शा अद्यतन किया गया था। अब 17 वर्षों बाद, सर्वे ऑफ इंडिया ने आधुनिक तकनीक और जियोसैटेलाइट डेटा के माध्यम से राज्य का नया नक्शा तैयार किया है। इसमें राज्य की भूसीमाओं, पर्वतीय इलाकों, नदियों, वन क्षेत्रों, और प्रशासनिक सीमाओं को और अधिक सटीकता के साथ दर्शाया गया है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, वरिष्ठ अधिकारी, और सर्वे ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि मौजूद रहे। मुख्य सचिव ने इस नए नक्शे को राज्य के लिए विकास परियोजनाओं की प्रभावी योजना और संपत्ति विवादों के समाधान में मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा, यह नया नक्शा राज्य की योजनाओं और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बेहद मददगार साबित होगा। साथ ही इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में भी स्पष्टता आएगी। नए नक्शे की खास बात यह है कि इसे डिजिटल फॉर्मेट में भी उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि विभिन्न सरकारी विभाग इसे ऑनलाइन एक्सेस कर सकें। इसके अलावा, राज्य की सीमाओं को लेकर जिन-जिन क्षेत्रों में विवाद या अस्पष्टता थी, उन्हें भी इस अद्यतन नक्शे में ठीक किया गया है। चमोली, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी जैसे सीमावर्ती जिलों में यह नक्शा विशेष रूप से सहायक रहेगा।सर्वे ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस नक्शे में ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) और जियोइन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों, जल स्रोतों, वन क्षेत्रों और पर्वतीय इलाकों की स्थिति को बेहद सटीकता से चिन्हित किया गया है।राज्य सरकार ने कहा है कि जल्द ही इस नक्शे को सभी विकास प्राधिकरणों, नगर निगमों, जिलों के प्रशासनिक कार्यालयों और भूमि रिकॉर्ड विभागों को भी वितरित किया जाएगा, ताकि योजनाओं के निर्माण और संपत्ति संबंधी मामलों में इसकी मदद ली जा सके।प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह नक्शा राज्य की संपत्ति सुरक्षा, विकास योजनाओं और आपदा प्रबंधन में भी बड़ा सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने सर्वे ऑफ इंडिया की टीम को इसके लिए बधाई दी और कहा कि इससे प्रदेश की भूसंरचना का सही रिकॉर्ड सामने आएगा।इस नक्शे के आने के बाद अब उत्तराखंड में कई विकास परियोजनाओं और भूमि विवाद मामलों में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है। विशेष रूप से सीमावर्ती और दूरस्थ क्षेत्रों में प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी और भू-लेखन कार्यों में भी सटीकता आएगी।

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