
पहलगाम में हुए ताज़ा आतंकी हमले ने एक बार फिर से कश्मीर की खूबसूरत वादियों को सैलानियों के लिए डर और चिंता का कारण बना दिया है। कभी जहां देहरादून और आसपास के क्षेत्रों के लोग गर्मियों की छुट्टियों में कश्मीर घूमने के लिए बेसब्री से इंतज़ार करते थे, वहीं अब हालात बिल्कुल उलट हो गए हैं। आतंकियों द्वारा टूरिस्ट बस पर किए गए हमले के बाद देहरादून के ट्रैवल एजेंट्स और होटल बुकिंग कंपनियों के पास एक के बाद एक बुकिंग रद्द कराने की कॉल्स आ रही हैं।कश्मीर से मोह रखने वाली दून घाटी के लोगों में अब डर की लहर है। लोग कह रहे हैं कि अब अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा पहले है, सैर-सपाटे का सपना बाद में देखा जाएगा।
कश्मीर का ख्वाब, अब डर का नाम
राजपुर रोड निवासी रश्मि सिंह, जो अपने परिवार के साथ मई महीने में श्रीनगर और गुलमर्ग की यात्रा पर जाने वाली थीं, बताती हैं:
“हमने काफी पहले बुकिंग करवा ली थी। बच्चों को बर्फ दिखाने का बहुत मन था। लेकिन अब हालात देखकर डर लग रहा है। हमने बुकिंग कैंसिल कर दी है।”
ऐसी ही स्थिति ट्रैवल एजेंट्स की भी है। देहरादून के एक प्रमुख ट्रैवल ऑपरेटर अनिल थपलियाल कहते हैं,
“हर साल अप्रैल-मई का महीना कश्मीर टूरिज्म के लिए पीक सीजन होता है। लेकिन अब लोगों की सोच बदल रही है। पहले जो ग्राहक दिन में 10 बार कॉल करके ट्रिप कन्फर्म कर रहे थे, अब वही लोग बुकिंग कैंसिल करवा रहे हैं।”
ट्रैवल इंडस्ट्री को लगा झटका
कश्मीर की ट्रैवल इंडस्ट्री पर इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग हर साल कश्मीर की यात्रा करते हैं। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि ना केवल ट्रिप्स रद्द हो रही हैं, बल्कि लोग आगे के महीनों की प्लानिंग भी रोक रहे हैं।
उत्तराखंड टूर ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक बिष्ट का कहना है,
“हमारे कई साथी जो कश्मीर के लिए टूर पैकेज तैयार कर रहे थे, उन्होंने फिलहाल सब रोक दिया है। ग्राहक सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और बिल्कुल स्पष्ट कह रहे हैं – अभी नहीं जाएंगे।”
सुरक्षा पर उठते सवाल
पहलगाम में टूरिस्ट बस पर हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि जब पर्यटकों की गाड़ियों को भी निशाना बनाया जा रहा है, तो फिर सुरक्षित पर्यटन का भरोसा कैसे बनेगा?
मसूरी निवासी और सेना से रिटायर्ड मेजर एन.एस. रावत कहते हैं,
“एक देश के नागरिक के रूप में हम चाहते हैं कि कश्मीर शांति का गहना बने, लेकिन बार-बार हो रहे हमलों से यही लगता है कि हालात अब भी चिंताजनक हैं। सरकार को सुरक्षा और इंटेलिजेंस सिस्टम को और मज़बूत करने की ज़रूरत है।”
हिमाचल और उत्तराखंड बन रहे विकल्प
कश्मीर का विकल्प अब लोग हिमाचल और उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों में ढूंढ रहे हैं। शिमला, मनाली, औली, कौसानी, नैनीताल जैसे स्थानों की बुकिंग में अचानक इज़ाफा हुआ है। दून के कई ट्रैवल एजेंट्स ने अपनी मार्केटिंग स्ट्रैटेजी बदल ली है और अब स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने पर ज़ोर दे रहे हैं। पहलगाम का हमला न केवल जानलेवा साबित हुआ, बल्कि इसने देश के आम नागरिकों के दिलों में गहरी दहशत भी बैठा दी है। देहरादून जैसे शांत शहर के लोग, जो हमेशा से कश्मीर के दीवाने रहे हैं, अब दूरी बनाना ज़्यादा सुरक्षित समझ रहे हैं।
हालांकि कश्मीर की खूबसूरती अमिट है, पर जब तक वहां अमन और सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, तब तक ‘धरती का स्वर्ग’ सैलानियों के लिए ‘डर का केंद्र’ बना रहेगा।