
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले में एक ऐसा क्षण सामने आया जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। हमले के दौरान आतंकियों ने एक निर्दोष व्यक्ति को गोली मारने से पहले उसकी पत्नी से कहा—“मोदी को बता देना…”। यह वाक्य न केवल उस महिला के लिए एक डरावनी याद बन गया, बल्कि पूरे देश में यह सवाल उठने लगा कि आखिर आतंकियों का यह संदेश किस ओर इशारा करता है? इस पर अब एक पूर्व सेना अधिकारी ने बड़ा बयान दिया है, जो इस घटना के पीछे के रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को उजागर करता है।
हमले की पृष्ठभूमि
इस भयावह हमले में आतंकियों ने अचानक एक निर्दोष स्थानीय नागरिक पर हमला किया, जब वह अपनी पत्नी के साथ था। गोली मारने से पहले उन्होंने उसकी पत्नी से कहा, “मोदी को बता देना कि हम अभी खत्म नहीं हुए हैं।” इस एक पंक्ति ने न सिर्फ पीड़िता को सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे देश के भीतर सवाल खड़े कर दिए कि आखिर आतंकियों ने यह संदेश क्यों दिया?
पूर्व सेना अधिकारी का विश्लेषण
सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी कर्नल (से.नि.) आर.के. सिंह ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह वाक्य केवल एक धमकी नहीं, बल्कि एक “साइकोलॉजिकल वॉरफेयर” यानी मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का यह बयान भारत की नेतृत्व शक्ति को सीधा चुनौती देने का प्रयास है।”जब आतंकी किसी नागरिक को मारते हैं और फिर उसकी पत्नी को कहते हैं कि मोदी को यह बात बता देना, तो वे यह साबित करना चाहते हैं कि वे सरकार और सुरक्षाबलों की तमाम कोशिशों के बावजूद मौजूद हैं। यह एक डर का माहौल बनाकर आम जनता और सत्ता के बीच दरार पैदा करने की रणनीति है,” – ऐसा कहना है कर्नल सिंह का।
राजनीतिक संदेश देने की कोशिश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संदेश केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं, बल्कि भारत की जनता और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी दिया गया था। इससे आतंकियों की मंशा यह दिखाने की है कि वे अब भी सक्षम हैं और भारत की स्थिरता को चुनौती दे सकते हैं।पूर्व अधिकारी ने यह भी कहा कि यह रणनीति पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों की आदत रही है—जब भी घाटी में आतंक कमजोर पड़ता है, तो वे इस तरह के प्रतीकात्मक संदेशों और हिंसक घटनाओं से फिर सुर्खियों में आना चाहते हैं।
महिला की स्थिति और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता
जिस महिला के सामने उसके पति को मार डाला गया और जिसे यह संदेश दिया गया, वह फिलहाल गहरे सदमे में है और सुरक्षा एजेंसियां उसकी सुरक्षा और बयान को लेकर सतर्क हैं। एनआईए और आईबी जैसी एजेंसियां इस घटना के मनोवैज्ञानिक और खुफिया पहलुओं की गहराई से जांच कर रही हैं।
देशव्यापी प्रतिक्रिया और कड़ा संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस हमले पर कड़ा रुख अपनाया है और कहा है कि “हम आतंकियों को पृथ्वी के अंतिम छोर तक खदेड़ेंगे और उन्हें कल्पना से भी बड़ी सजा देंगे।” सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सभी सुरक्षा एजेंसियों को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। “मोदी को बता देना…” जैसे शब्द आतंकी मानसिकता की उस परत को उजागर करते हैं जो केवल गोलियों से नहीं, विचारों और संदेशों से भी डर और अस्थिरता फैलाने की कोशिश करती है। लेकिन भारत अब ऐसा देश नहीं रहा जो ऐसे संदेशों से डर जाए। यह घटना केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा और एकता को और भी मज़बूत करने का अवसर है।