पहलगाम हमले पर दिए बयान को लेकर रॉबर्ट वाड्रा ने किया स्पष्टीकरण, ‘मेरे शब्दों की गलत व्याख्या की गई’

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले पर कांग्रेस नेता रॉबर्ट वाड्रा के बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। वाड्रा ने इस हमले के बाद एक बयान दिया था, जिसे कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक विपक्षी दलों ने विवादित करार दिया था। हालांकि, अब रॉबर्ट वाड्रा ने अपने बयान पर सफाई दी है, और उन्होंने कहा कि उनके शब्दों की गलत व्याख्या की गई थी। यह घटना उस वक्त सामने आई जब रॉबर्ट वाड्रा ने पहलगाम हमले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था, “हमले के बावजूद हमें भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए,” जिसके बाद उनके इस बयान को लेकर कई सवाल उठे थे। विपक्षी दलों ने वाड्रा के बयान को भारतीय सैनिकों और उनके बलिदानों के प्रति अपमानजनक बताया था। उनकी टिप्पणी को इस तरह से पेश किया गया था कि जैसे वह आतंकवादी हमले को नजरअंदाज कर रहे हों और दोनों देशों के बीच संवाद की जरूरत को प्राथमिकता दे रहे हों। वाड्रा के बयान के बाद विवाद बढ़ गया और उनकी आलोचना की जाने लगी। इसे लेकर उन्होंने अपनी सफाई दी, और कहा कि “मेरे शब्दों की गलत व्याख्या की गई है। मैंने जो कहा था, उसका उद्देश्य किसी भी तरह से भारतीय सेना या हमारे जवानों के बलिदान का अपमान करना नहीं था। मेरा मकसद केवल यह था कि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए संवाद का रास्ता खुला रहना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि हम आतंकवाद या हिंसा को सहन करेंगे।” रॉबर्ट वाड्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि वह देश की सुरक्षा और सेना के प्रति पूरी तरह से सम्मानित हैं, और उनका बयान कभी भी उन बलिदानों की अनदेखी करने वाला नहीं था, जो हमारे जवान देश की रक्षा के लिए देते हैं। उन्होंने कहा, “हमले की निंदा करते हुए मैं यह कहना चाहता हूं कि हमें आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहना होगा, लेकिन साथ ही हमें कूटनीतिक और राजनीतिक उपायों के माध्यम से भी किसी समाधान पर पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए।” वाड्रा ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि उनकी बात को संदर्भ से बाहर रखा गया और मीडिया में उसका गलत रूप में प्रचार किया गया। उन्होंने इस स्थिति पर अफसोस जताया और कहा कि वह हमेशा से शांति, सुरक्षा और दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्तों के पक्षधर रहे हैं।राजनीतिक रूप से, वाड्रा के इस बयान को कांग्रेस पार्टी के लिए एक और मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। पहले से ही पार्टी और केंद्र सरकार के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच, यह बयान पार्टी के लिए आलोचनाओं का कारण बन गया है। कांग्रेस के नेताओं ने भी वाड्रा के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही देश की सुरक्षा और सैनिकों के सम्मान के प्रति प्रतिबद्ध रही है, और वाड्रा का बयान पार्टी के आधिकारिक रुख से भिन्न नहीं है।वहीं, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी को घेरते हुए कहा कि इस तरह के बयान राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति पार्टी की संवेदनशीलता को सवालों के घेरे में डालते हैं। बीजेपी ने इस बयान की कड़ी निंदा की और इसे गंभीर आरोप के रूप में लिया। पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता ऐसे बयान देते रहते हैं, जो उनके और पार्टी के रुख को संदिग्ध बना देते हैं।इसके अलावा, कुछ विश्लेषकों ने इस बयान को राजनीतिक गलती के रूप में देखा, जो वाड्रा और कांग्रेस पार्टी के लिए एक भारी बोझ बन सकता है। हालांकि, वाड्रा ने साफ तौर पर यह कहा है कि उनका बयान केवल संवाद और कूटनीति को लेकर था, न कि आतंकवाद या हिंसा को प्रोत्साहन देने का।अब सवाल यह उठता है कि क्या इस विवाद का असर कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक स्थिति पर पड़ेगा, और क्या रॉबर्ट वाड्रा के इस बयान को लेकर पार्टी के भीतर कोई कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, वाड्रा ने अपनी सफाई पेश कर दी है, लेकिन यह मामला राजनीतिक दृष्टिकोण से और ज्यादा जटिल हो सकता है, क्योंकि भारतीय राजनीति में ऐसे मुद्दे अक्सर मुद्दों से ध्यान हटाने और विरोधियों के खिलाफ हमलों का कारण बन जाते हैं।यह पूरी स्थिति आने वाले दिनों में और भी अधिक सुर्खियों में आ सकती है, और इसे लेकर नेताओं, राजनीतिक पार्टियों, और जनता में गहरी बहस जारी रहेगी।

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