मणिपुर में जमीन विवाद ने भड़काया हिंसा का तांडव: दो गांवों में संघर्ष, PWD का बंगला जलाया, 25 घायल

मणिपुर में भूमि विवाद को लेकर उपजा तनाव एक बार फिर हिंसक झड़पों में तब्दील हो गया। शनिवार को राज्य के एक संवेदनशील इलाके में दो गांवों के बीच जमीन के स्वामित्व को लेकर विवाद इस हद तक बढ़ गया कि बात हाथापाई, पथराव और आगजनी तक पहुंच गई। इस दौरान उग्र भीड़ ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के एक सरकारी बंगले को आग के हवाले कर दिया। झड़प में 12 सुरक्षाकर्मियों समेत कुल 25 लोग घायल हो गए हैं, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।घटना उस वक्त हुई जब दोनों गांवों के बीच वर्षों पुराने एक भूमि विवाद को लेकर तनाव चरम पर पहुंच गया। बताया जा रहा है कि एक पक्ष द्वारा कथित रूप से विवादित जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करने की सूचना मिलते ही दूसरा पक्ष मौके पर पहुंच गया और विरोध दर्ज कराया। यह विरोध जल्द ही कहासुनी में बदल गया और फिर देखते ही देखते पत्थरबाज़ी, लाठीचार्ज और आगजनी की घटनाएं शुरू हो गईं।झड़प के दौरान उग्र भीड़ ने पास ही स्थित PWD का एक सरकारी भवन भी आग के हवाले कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन भीड़ ने सुरक्षाकर्मियों पर भी हमला कर दिया, जिसमें 12 जवान घायल हो गए। हालात को बेकाबू होता देख प्रशासन ने फौरन अतिरिक्त बल तैनात किया और हिंसाग्रस्त क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई।घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई घायल अभी भी इलाजरत हैं और उनमें से कुछ की हालत चिंताजनक बनी हुई है। इलाके में इंटरनेट सेवाओं को भी एहतियातन बंद कर दिया गया है ताकि अफवाहों को फैलने से रोका जा सके। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया गया है।मणिपुर सरकार ने इस गंभीर घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से बयान जारी कर कहा गया है कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी आश्वासन दिया गया है कि राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इस हिंसा की कड़ी निंदा की है और शांति की अपील की है। विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना मणिपुर में पहले से ही मौजूद जातीय और क्षेत्रीय तनाव को और गहरा कर सकती है। ऐसे में राज्य सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वह न केवल दोषियों को सजा दिलवाए, बल्कि जमीनी विवाद जैसे मुद्दों का स्थायी समाधान भी सुनिश्चित करे।

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