
उत्तराखंड के चमोली जिले से एक गंभीर पर्यावरणीय चेतावनी सामने आई है, जहां ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते तापमान के कारण हिमालयी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इसका सीधा असर अलकनंदा और सरस्वती नदियों के जलस्तर पर पड़ा है। हाल के दिनों में इन दोनों पवित्र नदियों में जलस्तर में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे प्रशासन और स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ गई है।
ग्लेशियर के पिघलने से नदी में पानी का बहाव न केवल तेज हुआ है, बल्कि किनारे बसे क्षेत्रों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है। चमोली जिले में विशेष रूप से बदरीनाथ क्षेत्र, जो धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, वहां के लिए प्रशासन ने विशेष सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
इस बीच, पुष्कर कुंभ के चलते आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है। जलस्तर बढ़ने के मद्देनज़र कुंभ क्षेत्र में जल पुलिस (Water Police) की तैनाती की गई है ताकि स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। प्रशासन ने जल पुलिस को विशेष निगरानी उपकरणों और जीवन रक्षक संसाधनों से लैस किया है।
चमोली जिले के अधिकारियों ने बताया कि जलस्तर में वृद्धि की लगातार निगरानी की जा रही है और SDRF, जल पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें हर समय अलर्ट पर हैं। मौसम विभाग ने भी चेताया है कि अगले कुछ दिनों में तापमान में और बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे ग्लेशियर और तेज़ी से पिघल सकते हैं।
स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों को नदी किनारे अनावश्यक रूप से न जाने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है। साथ ही, मंदिर प्रशासन को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे नदी किनारे होने वाले आयोजनों में अतिरिक्त सावधानी बरतें।
यह स्थिति एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करती है कि जलवायु परिवर्तन का असर सिर्फ पर्यावरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह अब सीधा लोगों की आस्था, सुरक्षा और जीवन पर भी प्रभाव डाल रहा है। प्रशासनिक स्तर पर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन लंबे समय तक समाधान के लिए वैश्विक और स्थानीय स्तर पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है।