
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने जिला सैनिक कल्याण अधिकारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई एक रिश्वत प्रकरण में दोषी पाए जाने के बाद की गई, जिससे न केवल प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है बल्कि आम जनता में भी इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी पर यह आरोप था कि उन्होंने एक पूर्व सैनिक के कार्य से संबंधित मामले में आर्थिक लेन-देन के नाम पर रिश्वत की मांग की थी। शिकायतकर्ता ने इस संबंध में संबंधित विभाग और भ्रष्टाचार निरोधक इकाई को प्रमाणित साक्ष्य के साथ शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत की गंभीरता को देखते हुए एक प्रारंभिक जांच की गई, जिसमें प्रथम दृष्टया अधिकारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई। इसके बाद मामले को उच्चस्तरीय जांच के लिए संदर्भित किया गया, जिसमें पुष्टि हुई कि अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गलत तरीके से आर्थिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया।
राज्य सरकार ने जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्काल प्रभाव से अधिकारी की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए। बर्खास्तगी आदेश के साथ स्पष्ट किया गया है कि सरकारी सेवा में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं है और जो भी कर्मचारी या अधिकारी इस प्रकार की गतिविधियों में संलिप्त पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस निर्णय के बाद विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को भी स्पष्ट संकेत मिल गया है कि ईमानदारी और पारदर्शिता से ही प्रशासनिक कार्यप्रणाली को संचालित किया जाएगा। वहीं, इस कार्रवाई से पूर्व सैनिक समाज में भी सरकार की इच्छाशक्ति को लेकर सकारात्मक संदेश गया है।
जनता की प्रतिक्रिया:
स्थानीय नागरिकों और पूर्व सैनिकों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि सैनिकों के कल्याण के लिए नियुक्त अधिकारियों से ईमानदारी और संवेदनशीलता की अपेक्षा की जाती है, और यदि वे ही भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएं, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होना जरूरी है।
सरकार की चेतावनी:
राज्य सरकार ने एक बार फिर दोहराया है कि “भ्रष्टाचार मुक्त शासन” उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस प्रकार की घटनाओं पर भविष्य में भी कठोर दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।