
आगरा के पनवारी कांड में सशक्त पैरवी ने अपना असर दिखाया है। कुल 31 गवाहों की गवाही के आधार पर आरोपी सजा तक पहुंच सके हैं। पनवारी कांड के बाद शहर और देहात में हिंसा फैल गई थी, जिसके चलते थाना सिकंदरा और कागारौल में अलग-अलग दो मामले दर्ज किए गए थे।
सिकंदरा के मामले में 4 अगस्त 2022 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल समेत आठ आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था, जिससे जांच और अभियोजन की प्रभावशीलता पर सवाल उठे थे। लेकिन कागारौल के मामले में ताजा फैसला आया है, जिसमें 35 आरोपियों पर दोष साबित किया गया है।
केस में अभियोजन की मजबूत पैरवी और गवाहों की सटीक गवाही ने आरोपियों को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई। 23 जून 1990 को थाना सिकंदरा में लगभग 6000 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, जबकि इसके अगले दिन यानी 24 जून 1990 को थाना कागारौल में 200 से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। एडीजीसी हेमंत दीक्षित ने बताया कि 24 जून को अकोला में भी हिंसक घटनाएं हुई थीं।