
उत्तराखंड: यूपीसीएल में 19 साल पुरानी वरिष्ठता विवाद पर लगी मुहर, सीधी भर्ती इंजीनियर खुश, प्रमोशन से आए जेई नाराज
उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) में लंबे समय से चला आ रहा एक अहम विवाद आखिरकार किसी निष्कर्ष पर पहुंचता दिख रहा है। बुधवार को यूपीसीएल प्रबंधन ने वर्ष 2008-09 की वरिष्ठता सूची जारी कर दी, जिससे एक ओर जहां सीधी भर्ती के इंजीनियरों में खुशी की लहर है, वहीं प्रमोशन से पद पर आए जूनियर इंजीनियर (JE) इस निर्णय से काफी नाराज़ हैं। मामला इतना गंभीर है कि नाराज़ इंजीनियरों ने इस सूची को हाईकोर्ट में चुनौती देने की चेतावनी दे दी है।
वरिष्ठता निर्धारण पर तीन स्तरों पर लिया गया निर्णय
यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार के नेतृत्व में बुधवार को वरिष्ठता सूची से जुड़े तीन प्रमुख निर्णय लिए गए:
- वर्ष 2006-07 में कोई भर्ती या पदोन्नति नहीं होने के कारण उस वर्ष की वरिष्ठता सूची को शून्य घोषित किया गया।
- वर्ष 2007-08 की वरिष्ठता सूची जारी कर दी गई, जिनमें शामिल अधिकतर अभियंताओं को पहले ही प्रमोशन मिल चुका है।
- सबसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद वर्ष 2008-09 की वरिष्ठता सूची को जारी किया गया, जिसमें सीधी भर्ती और पदोन्नति से आए कुल 93 इंजीनियरों को स्थान दिया गया है।
प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि यह सूची हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों और राज्य शासन की ओर से गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर जारी की गई है। हालांकि, यह भी कहा गया कि चूंकि कुछ मामले अभी न्यायालय में लंबित हैं, इसलिए यह सूची न्यायिक आदेशों के अधीन ही मान्य होगी।
विवाद का कारण: 2010 भर्ती वालों को 2008 की वरिष्ठता क्यों?
उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने इस निर्णय पर तीखी आपत्ति जताई है। एसोसिएशन के केंद्रीय उप महासचिव जगपाल सिंह ने कहा कि कई JE जिन्होंने 2008 में पदोन्नति के बाद सहायक अभियंता (AE) का पद संभाला था, उन्हें वरिष्ठता सूची में पीछे रखा गया, जबकि 2010 में सीधी भर्ती से आए AE को 2008 की वरिष्ठता दी गई है।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब कोई अभियंता 2010 में भर्ती हुआ, तो उसे दो साल पहले यानी 2008 से वरिष्ठता कैसे मिल सकती है? उन्होंने इसे न्यायिक और प्रशासनिक विसंगति करार देते हुए कहा कि संगठन इस मुद्दे को लेकर जल्द ही हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।
सीधी भर्ती इंजीनियरों की राय: वरिष्ठता पूरी तरह नियमों के अनुसार
दूसरी ओर, उत्तरांचल पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव राहुल चानना ने इस वरिष्ठता सूची का समर्थन किया है। उनका कहना है कि 2010 में नियुक्त AE की भर्ती प्रक्रिया फरवरी 2008 में ही शुरू हो गई थी, और विज्ञप्ति उसी दौरान निकाली गई थी। ऐसे में नियमों के अनुसार उनकी वरिष्ठता सही मानी गई है।
उन्होंने यूपीसीएल प्रबंधन से जल्द डीपीसी (Departmental Promotion Committee) आयोजित करने और योग्य अभियंताओं को प्रमोट करने की मांग की।
इस वरिष्ठता सूची को लेकर एक वर्ग में उत्साह है तो दूसरे वर्ग में गहरी नाराज़गी, जो यह दर्शाता है कि उत्तराखंड में सरकारी विभागों में लंबित प्रशासनिक मामलों के समाधान में अभी भी न्यायिक और प्रक्रियात्मक स्पष्टता की आवश्यकता है। यदि यह विवाद न्यायालय में गया, तो यह मामला एक बार फिर तकनीकी और कानूनी पेचीदगियों में उलझ सकता है।
📌 यह मामला न केवल यूपीसीएल के भीतर तंत्र को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राज्य की प्रशासनिक निर्णय प्रक्रिया की पारदर्शिता और न्यायिक जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा कर रहा है।