
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की पहचान को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए साफ किया है कि इस दर्जे का निर्धारण केवल सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर किया जाएगा, न कि किसी व्यक्ति के धर्म के आधार पर। मंगलवार को विधानसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि “धर्म का ओबीसी से कोई लेना-देना नहीं है, केवल पिछड़ापन ही इसका आधार है।”मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर कुछ लोग जानबूझकर गलत और भ्रामक जानकारियां फैला रहे हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बन रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ओबीसी की श्रेणी में किसी व्यक्ति को शामिल करने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग के सर्वे और सिफारिशों पर आधारित होता है, न कि धार्मिक पहचान पर।
🔍 50 नए उपवर्गों पर सर्वे कर रहा है आयोग
ममता बनर्जी ने सदन को जानकारी दी कि राज्य सरकार ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वह 50 नए संभावित उपवर्गों का क्षेत्रीय और सामाजिक सर्वेक्षण करे, ताकि उन्हें ओबीसी सूची में शामिल किया जा सके। यह सर्वे पूरे राज्य में विभिन्न जातियों और समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करके किया जा रहा है।
🗂️ OBC-A और OBC-B के उपवर्ग
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में ओबीसी-ए श्रेणी में 49 उपवर्ग और ओबीसी-बी श्रेणी में 91 उपवर्ग शामिल हैं। अधिक पिछड़े समुदायों को ओबीसी-ए में और कम पिछड़े समुदायों को ओबीसी-बी में रखा गया है। यह वर्गीकरण पिछड़ेपन की गंभीरता के आधार पर किया गया है, जिससे सामाजिक न्याय और समावेशन सुनिश्चित हो सके।
📊 आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश
ममता बनर्जी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग की वार्षिक रिपोर्ट भी विधानसभा में पेश की। उन्होंने बताया कि यह रिपोर्ट आयोग द्वारा किए गए व्यापक शोध, सर्वेक्षण और निष्कर्षों पर आधारित है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ओबीसी सूची में सिर्फ वे लोग शामिल हों जो वास्तविक रूप से सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार पिछड़े समुदायों के उत्थान के लिए लगातार काम कर रही है और किसी भी तरह की धार्मिक राजनीति से दूर रहकर न्यायपूर्ण नीति अपनाई जा रही है। ममता बनर्जी का यह स्पष्ट और तथ्याधारित बयान ऐसे समय में आया है जब देश भर में ओबीसी दर्जे को लेकर बहस तेज हो गई है। उन्होंने अपने बयान के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया कि राज्य सरकार धर्म नहीं, बल्कि वास्तविक पिछड़ेपन को ही आरक्षण का आधार मानेगी।