
देहरादून। भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में अब राजधानी देहरादून की धरती की मजबूती और भूकंपीय जोखिम को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन कराया जाएगा। यह अध्ययन देश की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्था सीएसआईआर-सेंटर फॉर सिस्मोलॉजिकल रिसर्च (बेंगलुरु) द्वारा किया जाएगा। अध्ययन के दौरान यह परखा जाएगा कि शहर की विभिन्न लोकेशनों पर भूमि किस हद तक भूकंप के झटकों को सहन करने में सक्षम है।
क्यों जरूरी है यह परीक्षण?
उत्तराखंड का अधिकांश भूभाग भूकंपीय जोन-4 और जोन-5 में आता है, जो कि उच्चतम संवेदनशील श्रेणियों में गिने जाते हैं। देहरादून भी जोन-4 में स्थित है, जहां बीते वर्षों में कई हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप महसूस किए जा चुके हैं। शहरीकरण और तेजी से हो रहे निर्माण कार्यों के बीच यह अध्ययन और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, ताकि भविष्य में किसी बड़ी आपदा से बचाव की रणनीति तय की जा सके।
क्या-क्या होगा अध्ययन में?
इस अध्ययन के तहत सीएसआईआर की टीम भूगर्भीय तकनीक और उन्नत सिस्मोलॉजिकल उपकरणों की मदद से शहर की मिट्टी, चट्टानों की परतों, और कंपन सहने की क्षमता का विश्लेषण करेगी। विशेष तौर पर उच्च आबादी वाले क्षेत्रों, स्कूलों, अस्पतालों, सरकारी भवनों और पुराने निर्माण क्षेत्रों को प्राथमिकता पर शामिल किया जाएगा।
भवन निर्माण मानकों में आ सकता है बदलाव
अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार शहर में भवन निर्माण नियमों में जरूरी बदलाव कर सकती है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नए भवन ऐसे डिज़ाइन किए जाएं जो संभावित भूकंप के प्रभाव को झेल सकें। पुरानी इमारतों की मजबूती की भी जांच की जा सकती है और जरूरत पड़ने पर रेट्रोफिटिंग की सिफारिशें की जा सकती हैं।
प्रशासन और आपदा विभाग की सक्रियता
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और नगर विकास विभाग भी इस अध्ययन में समन्वय की भूमिका निभाएंगे। स्थानीय निकायों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अध्ययन टीम को आवश्यक आंकड़े और फील्ड सर्वे में हर संभव सहयोग दें। प्रशासन का कहना है कि इस अध्ययन से आने वाले समय में देहरादून को भूकंपीय दृष्टि से और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा।