कोटद्वार जा रही ट्रेन में अचानक चालक की तबीयत बिगड़ी, सहायक लोको पायलट ने दिखाई सूझबूझ, सुरक्षित पहुंचाया स्टेशन

उत्तराखंड के कोटद्वार स्टेशन पर उस समय अफरा-तफरी मच गई जब आनंद विहार टर्मिनल से कोटद्वार आ रही एक्सप्रेस ट्रेन के चालक बाबूराम की अचानक तबीयत बिगड़ गई। यह घटना बुधवार तड़के सनेह रोड हाल्ट स्टेशन के पास घटी, जब ट्रेन गंतव्य की ओर बढ़ रही थी। चालक की स्थिति बिगड़ते ही सहायक लोको पायलट ने पूरी जिम्मेदारी संभालते हुए ट्रेन को सुरक्षित रूप से कोटद्वार स्टेशन तक पहुंचाया। इस संवेदनशील परिस्थिति में उसकी तत्परता और सूझबूझ ने एक संभावित रेल दुर्घटना को टाल दिया।

सहायक चालक की तत्परता ने बचाई जान

जैसे ही चालक बाबूराम की तबीयत बिगड़ने के संकेत मिले, सहायक लोको पायलट ने तुरंत स्थिति को नियंत्रण में लिया और ट्रेन की रफ्तार संभालते हुए उसे सुरक्षित स्टेशन तक पहुंचाया। ट्रेन जैसे ही कोटद्वार स्टेशन पहुंची, चालक को प्लेटफॉर्म पर ही प्राथमिक चिकित्सा सुविधा प्रदान की गई। इसके बाद डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें तुरंत एक हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया गया, जहां उनकी स्थिति की निगरानी की जा रही है।

परिचालन पर पड़ा असर, ट्रेन घंटों स्टेशन पर खड़ी रही

इस अप्रत्याशित घटना का असर ट्रेन संचालन पर भी पड़ा। ट्रेन का खाली रैक सुबह 5:00 बजे तक नजीबाबाद पहुंचना था, लेकिन चालक की तबीयत खराब होने की वजह से ट्रेन कोटद्वार स्टेशन पर ही सुबह 10:30 बजे तक खड़ी रही। रेलवे प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए लक्सर से एक अन्य चालक को बुलाया, जिसके बाद ट्रेन को नजीबाबाद के लिए रवाना किया गया।

पहले से ही बाधित था रेल ट्रैक, व्यवस्थाएं रही प्रभावित

गौरतलब है कि इस घटना से पहले भी रेल ट्रैक पर तकनीकी बाधा के कारण अन्य पैसेंजर ट्रेनों के संचालन पर असर पड़ा था। ऐसे में चालक की तबीयत बिगड़ने की घटना ने स्थिति को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया। हालांकि रेलवे प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए सभी जरूरी कदम समय पर उठाए, जिससे कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।

रेलवे प्रशासन अलर्ट मोड पर

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस घटना की पूरी जानकारी संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है और मामले की जांच जारी है। साथ ही रेलवे प्रशासन द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में ऐसी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मानकों को और अधिक सख्ती से लागू किया जाए। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि रेलवे संचालन केवल तकनीक पर नहीं, बल्कि मानवीय जिम्मेदारी, तत्परता और अनुभव पर भी आधारित होता है। सहायक चालक की सजगता और रेलवे प्रशासन की तत्काल प्रतिक्रिया ने एक संभावित बड़ी दुर्घटना को टाल दिया और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की।

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