
पश्चिम एशिया में ईरान और इज़राइल के बीच जारी संघर्ष ने भारत समेत पूरी दुनिया की ऊर्जा सुरक्षा पर खतरा मंडरा दिया है। इस बढ़ते टकराव के चलते भारत की घरेलू रसोई गैस सप्लाई (LPG) पर बड़ा असर पड़ सकता है। भारत की 66% LPG जरूरत आयात के माध्यम से पूरी होती है, जिसमें से अधिकतर आपूर्ति पश्चिम एशियाई देशों से होती है। अगर यह आपूर्ति बाधित होती है तो देश में गैस संकट खड़ा हो सकता है और रसोई का खर्च आम नागरिकों के लिए और महंगा हो सकता है।
पश्चिम एशिया में बढ़ा खतरा, भारत पर असर तय
ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध के बीच अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किए जाने की खबरों ने तेल उत्पादक क्षेत्रों में अस्थिरता और आपूर्ति में बाधा की चिंता को बढ़ा दिया है। भारत के लिए यह चिंता और भी बड़ी है क्योंकि वह अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा—विशेष रूप से LPG—इन क्षेत्रों से पूरा करता है। इस समय भारत में तीन में से दो सिलेंडर की आपूर्ति पश्चिम एशिया से होती है, और यदि यह सप्लाई रुकती है, तो सबसे पहले असर देश के करोड़ों घरों पर पड़ेगा।
LPG उपयोग में भारी वृद्धि, स्टोरेज बेहद सीमित
पिछले 10 वर्षों में भारत में एलपीजी उपयोगकर्ताओं की संख्या में ज़बरदस्त वृद्धि हुई है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्तमान में लगभग 33 करोड़ घरों में LPG सिलेंडर का उपयोग हो रहा है। इस भारी मांग को देखते हुए भारत को अपने घरेलू उत्पादन से ज्यादा एलपीजी का आयात करना पड़ता है।भारत में LPG की कुल मांग का करीब 66 प्रतिशत आयात के जरिए पूरा किया जाता है। इस आयात में सऊदी अरब का हिस्सा सबसे ज्यादा है—करीब 95% तक, इसके बाद यूएई और कतर का नाम आता है। देश के पास फिलहाल केवल 16 दिनों की LPG खपत के बराबर स्टोरेज क्षमता है। यानी यदि पश्चिम एशिया से एलपीजी की आपूर्ति अचानक रुक जाए, तो भारत के पास सिर्फ 16 दिनों तक घरेलू खपत के लिए गैस उपलब्ध रहेगी।
पेट्रोल-डीजल की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर
जहां एक ओर एलपीजी को लेकर भारत की निर्भरता ज्यादा और भंडारण सीमित है, वहीं पेट्रोल और डीजल के मामले में स्थिति कुछ हद तक बेहतर है। भारत इन दोनों ईंधनों का आंशिक निर्यातक भी है। आवश्यकता पड़ने पर केंद्र सरकार निर्यात पर रोक लगाकर घरेलू बाजार की मांग को प्राथमिकता दे सकती है। भारत का क्रूड ऑयल स्टॉक भी फिलहाल 25 दिनों के लिए पर्याप्त है।
मिडिल ईस्ट से बाहर भी हैं विकल्प, लेकिन महंगे
अगर ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध और गहराता है, तो भारत को LPG की वैकल्पिक आपूर्ति के लिए अमेरिका, यूरोप, मलेशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों की ओर देखना पड़ेगा। हालांकि, इन क्षेत्रों से आयात में समय ज्यादा लगता है और इसकी लॉजिस्टिक लागत भी कहीं अधिक होती है, जिससे घरेलू उपभोक्ताओं के लिए LPG महंगी हो सकती है।
PNG कनेक्शन बेहद सीमित, वैकल्पिक ईंधन नहीं बचा
भारत में फिलहाल सिर्फ 1.5 करोड़ घरों में ही पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) उपलब्ध है। शेष 33 करोड़ घर अब भी LPG पर निर्भर हैं। केरोसिन की आपूर्ति बंद हो चुकी है और ऐसे में यदि गैस की आपूर्ति ठप होती है, तो बिजली से खाना बनाना ही एकमात्र विकल्प रह जाएगा। लेकिन यह भी हर घर के लिए व्यावहारिक नहीं है।
तेल कंपनियों का नजरिया और सरकार की तैयारी
इस संकट की आशंका के बावजूद तेल कंपनियों ने अभी तक अतिरिक्त LPG खरीदना शुरू नहीं किया है। उनके अनुसार आपूर्ति बाधित होने का जोखिम अभी सीमित है। कंपनियों का मानना है कि तेल की कीमतों में उछाल अस्थायी होता है और वैश्विक बाज़ार जल्दी स्थिर हो जाते हैं। फिर भी, सरकार ने स्थिति पर करीबी निगरानी रखने के संकेत दिए हैं।
एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया,
“अगर हम अभी ऑर्डर भी करते हैं तो डिलीवरी में एक महीना लग सकता है। हमारी स्टोरेज कैपेसिटी लिमिटेड है। फिलहाल हम सर्तक हैं और घरेलू उपभोक्ताओं की जरूरतों को प्राथमिकता दे रहे हैं।”
ईरान-इज़राइल संघर्ष ने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को तनाव में डाल दिया है, बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों की ऊर्जा सुरक्षा को भी हिलाकर रख दिया है। LPG जैसी आवश्यक वस्तु पर संकट का सीधा असर आम भारतीय परिवार की रसोई पर पड़ता है। ऐसे में अब भारत को दीर्घकालीन रणनीति बनानी होगी जिसमें वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति, घरेलू उत्पादन को बढ़ाना और स्टोरेज क्षमता बढ़ाना शामिल हो।