पूर्व विधायक की शादी ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें, जवाब के बाद पार्टी करेगी अंतिम निर्णय

उत्तराखंड की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब भाजपा के पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता सुरेश राठौर पर पहली पत्नी और परिवार के होते हुए एक अन्य महिला से विवाह करने के गंभीर आरोप लगे। इस मामले को लेकर न केवल पार्टी के भीतर बल्कि राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए भाजपा की नीति और समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) को लेकर पार्टी को कठघरे में खड़ा कर दिया है।इस पूरे प्रकरण में भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने सख्त रुख अपनाते हुए सुरेश राठौर को अनुशासनहीनता के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। पार्टी ने उनके कथित आचरण को “अमर्यादित” बताते हुए इसे भाजपा की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताया।मंगलवार को सुरेश राठौर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से उनके यमुना कॉलोनी स्थित सरकारी आवास पर मिले और नोटिस के जवाब में अपना पक्ष स्पष्ट किया। राठौर ने पार्टी नेतृत्व को व्यक्तिगत रूप से अपना लिखित जवाब सौंपा और पूरे मामले पर सफाई दी।भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि, “पिछले कुछ समय से पूर्व विधायक सुरेश राठौर से संबंधित कई प्रकार की खबरें और वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं। पार्टी ने उनके इन सार्वजनिक आचरणों को अनुशासनहीनता की श्रेणी में रखते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। यह कृत्य पार्टी की गरिमा और सामाजिक आचरण के मानकों के अनुरूप नहीं है।”प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने राठौर का पक्ष सुनने के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि भाजपा किसी भी प्रकार के अश्लील, अभद्र, असामाजिक और अमर्यादित व्यवहार को स्वीकार नहीं करती, चाहे वह व्यक्ति पार्टी में किसी भी पद पर क्यों न रहा हो। उन्होंने कहा कि राठौर की सफाई मिलने के बाद अब पार्टी की अनुशासन समिति इस विषय पर विस्तृत विचार करेगी और शीघ्र ही उचित निर्णय लिया जाएगा।यह मामला इसलिए भी संवेदनशील बन गया है क्योंकि उत्तराखंड वह पहला राज्य है जहां भाजपा सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। ऐसे में पूर्व विधायक द्वारा कथित रूप से दूसरी शादी करना विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिससे भाजपा की नीति और नैतिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।अब सबकी निगाहें भाजपा अनुशासन समिति के निर्णय पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और सुरेश राठौर के राजनीतिक भविष्य को लेकर क्या फैसला लिया जाता है।

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