
उत्तराखंड भाजपा में नेतृत्व को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है और महेंद्र भट्ट का दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। रविवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में चुनाव अधिकारी खजान दास ने राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी के. लक्ष्मण के निर्देश पर चुनाव अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही मतदाता सूची भी सार्वजनिक कर दी गई है।सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि अध्यक्ष पद के लिए केवल महेंद्र भट्ट ने ही नामांकन दाखिल किया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि उनके अध्यक्ष बनने में कोई बाधा नहीं है। नामांकन के दौरान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति भी इस बात की पुष्टि करती है कि भट्ट को पार्टी में व्यापक समर्थन प्राप्त है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद अजय भट्ट समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस मौके पर मौजूद रहे और एकजुटता का संदेश दिया।
चुनाव प्रक्रिया का विवरण:
चुनाव अधिकारी ने जानकारी दी कि कुल 125 मतदाता प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मतदान के लिए अधिकृत हैं। रविवार को दोपहर 12 बजे तक नामांकन प्रक्रिया पूरी की गई। दोपहर 12 से 2 बजे तक नामांकन पत्रों की जांच की गई और फिर 3 से 4 बजे के बीच नामांकन वापसी का समय निर्धारित किया गया था। हालांकि केवल एक ही नामांकन दाखिल हुआ, इसलिए अब 1 जुलाई को महेंद्र भट्ट के निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
कौन कर सकता है नामांकन?
चुनाव अधिकारी खजान दास ने बताया कि पार्टी के संविधान के अनुसार ही चुनाव की पूरी प्रक्रिया आयोजित की जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन वही कार्यकर्ता कर सकता है, जो तीन वर्षों से पार्टी का सक्रिय सदस्य हो और कम से कम 10 वर्षों से प्राथमिक सदस्यता रखता हो। नामांकन फार्म (च) भरने के बाद, प्रदेश निर्वाचक मंडल के 10 सदस्य संयुक्त रूप से किसी भी पात्र कार्यकर्ता के नाम का प्रस्ताव कर सकते हैं। यह भी अनिवार्य है कि यह प्रस्ताव कम से कम एक तिहाई जिलों से आए।
राष्ट्रीय परिषद सदस्य का चयन
भाजपा संविधान की उपधारा (2) के अनुसार, प्रदेश परिषद की ओर से राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का चयन किया जाएगा। हर प्रदेश उतनी संख्या में राष्ट्रीय परिषद सदस्य नियुक्त करेगा, जितनी उस राज्य में लोकसभा सीटें हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के प्रतिनिधि उस अनुपात में हों, जितनी उस राज्य में इन वर्गों के लिए आरक्षित सीटें हैं। इसके लिए प्रदेश को दो-दो लोकसभा क्षेत्रों के हिसाब से भागों में विभाजित किया जाएगा और प्रत्येक भाग से कम से कम एक प्रतिनिधि का चयन अनिवार्य होगा। महेंद्र भट्ट का दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय है। यह फैसला न सिर्फ संगठन में उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है, बल्कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा द्वारा नेतृत्व में स्थिरता लाने की रणनीति को भी दिखाता है। भट्ट की अगुवाई में पार्टी किस तरह से आगामी चुनावों की रणनीति बनाएगी, इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।