बचपन, नींद और मौत के बीच जंग: बादल फटने की त्रासदी में बचे मजदूरों ने सुनाई डरावनी दास्तां

उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के बड़कोट क्षेत्र में शनिवार रात करीब एक बजे के आसपास सिलाई बैंड के पास बादल फटने की भयावह घटना ने दर्जनों ज़िंदगियों को झकझोर दिया। इस त्रासदी में यमुनोत्री हाईवे का लगभग 20 मीटर हिस्सा तेज बहाव में बह गया, जबकि ऊपरी क्षेत्र में बनी अस्थायी टेंट कॉलोनी में रह रहे मजदूर बाढ़ के कहर का शिकार बन गए। नौ मजदूर पानी और मलबे की चपेट में आकर लापता हो गए, जिनमें से दो के शव यमुना नदी में बरामद किए जा चुके हैं। बचाव कार्य लगातार जारी है और सात मजदूर अब भी लापता हैं।रात के अंधेरे में आई आपदा ने सो रहे मजदूरों को जगने तक का मौका नहीं दिया। नेपाल निवासी हरिकृष्ण चौधरी और कीर्ति बहादुर जैसे कुछ मजदूर जो समय रहते जाग गए, उन्होंने दरवाजे नहीं खुलने पर प्लाई की दीवारें तोड़कर किसी तरह अपनी जान बचाई। हरिकृष्ण ने बताया कि टेंटों में पानी घुसते ही ठंड लगने से कुछ मजदूरों की नींद खुली और उन्होंने दूसरे साथियों को भी जगाने की कोशिश की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। पानी और मलबे का बहाव बहुत तेज था और कुछ मजदूर नींद में ही बह गए।बचने वाले 20 मजदूरों के पास अब न तो कपड़े हैं और न कोई सामान। उनके अनुसार, कुछ मजदूर अपने कपड़े और पैसे बचाने के प्रयास में फंस गए और बह गए। इस त्रासदी ने साफ कर दिया कि जीवन और मृत्यु के बीच केवल कुछ क्षणों का फर्क होता है।घटना के तुरंत बाद एसडीआरएफ की टीम राहत और बचाव कार्य में जुट गई। अब तक दो शव बरामद किए जा चुके हैं—दूजेलाल (55) निवासी पीलीभीत और केवल बिष्ट (43) निवासी नेपाल। अन्य सात मजदूरों की खोजबीन जारी है। लापता मजदूरों में नेपाल और देहरादून के निवासी शामिल हैं: रोशन चौधरी, अनवीर धामी, कल्लूराम चौधरी, जयचंद, छोटू, प्रियांश, और सर कटेल धामी।इस बीच शनिवार रात को क्षेत्र में कई स्थानों पर बादल फटने और भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं हुईं। सिलाई बैंड के पास नाले के किनारे बादल फटने से टेंटों में रह रहे मजदूर मलबे में दब गए या बह गए। यमुनोत्री हाईवे का हिस्सा बहने से क्षेत्र का संपर्क भी प्रभावित हुआ।उधर, बदरीनाथ हाईवे भी बारिश के कारण दो स्थानों पर बाधित हुआ। गौचर के पास कमेड़ा और कर्णप्रयाग के पास उमट्टा में मूसलाधार बारिश के कारण हाईवे बंद हो गया। कमेड़ा में दो घंटे और उमट्टा में ढाई घंटे के बाद मार्ग खोला गया। एक विशाल बोल्डर सड़क पर आ गिरा, जिससे समीप स्थित एक होटल बाल-बाल बच गया।उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के कारण कुल 179 मार्ग बंद हो चुके हैं, जिससे राज्यभर में आवागमन और राहत कार्यों में बाधाएं आ रही हैं। जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें मौके पर मौजूद हैं और लापता मजदूरों की तलाश में लगी हैं। आपदा प्रभावित मजदूरों को पालीगाड में ग्रामीणों ने शरण दी और कपड़े उपलब्ध कराए।यह हादसा एक बार फिर से उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन की गंभीर चुनौतियों को सामने लाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में बसे मजदूरों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा और राहत के लिए एक मजबूत और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र की आवश्यकता है।

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