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दिल्ली धमाका: एसीटोन, चीनी और यूरिया से तैयार हुआ घातक IED - The Indian Exposure

दिल्ली धमाका: एसीटोन, चीनी और यूरिया से तैयार हुआ घातक IED

लालकिले के सामने हुए धमाके की जांच में सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक का सबसे अहम और पुख्ता खुलासा किया है। गिरफ्तार आतंकियों से हुई पूछताछ, फरीदाबाद में बरामद रसायनों व उपकरणों की फॉरेंसिक मैचिंग और केस डायरी में दर्ज तकनीकी रिपोर्टों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस पूरी आतंकी साजिश का ‘अमीर’ और असली दिमाग डॉक्टर उमर मोहम्मद ही था।

उमर न केवल मॉड्यूल का लीडर था, बल्कि उसकी तकनीकी समझ, विज्ञान में गहरी पकड़, खतरनाक कट्टरता और नौ अलग-अलग भाषाओं पर महारत ने उसे पूरे गिरोह का स्वाभाविक मास्टरमाइंड बना दिया था। जांच में सामने आया है कि उसका प्रभाव इतना मजबूत था कि बाकी सदस्य उसकी किसी भी बात पर सवाल उठाने की हिम्मत नहीं करते थे।

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, लालकिला धमाके में जिस आईईडी का इस्तेमाल हुआ, वह टाइमर-आधारित अधूरा TATP IED था। इसे एसीटोन (नेल पॉलिश रिमूवर), पिसी चीनी, यूरिया और अन्य रसायनों को मिलाकर तैयार किया गया था। वैज्ञानिक वर्गीकरण में यह ट्राई-एसीटोन ट्राई-पेरॉक्साइड (TATP) कहलाता है — जिसे दुनिया के सबसे अस्थिर, संवेदनशील और घातक विस्फोटकों में गिना जाता है।

फरीदाबाद से जब्त किए गए रसायनों, उपकरणों और अवशेषों का सीधा मिलान धमाके वाली जगह से जुटाए गए नमूनों से हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि साजिश की डोर सीधे-सीधे उमर तक जाकर जुड़ती है।

गिरफ्तार आरोपी मुजम्मिल ने पूछताछ में बताया कि उमर हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, अरबी, फारसी, चीनी और फ्रेंच समेत नौ भाषाओं में दक्ष था। वह कम बोलता था, लेकिन उसकी हर बात का अंतिम निष्कर्ष एक ही लाइन पर खत्म होता था — “दीन का काम है, यह सवाल मुनासिब नहीं।” उसकी इसी कट्टर और प्रभावी सोच ने बाकी सदस्यों को उसकी हर योजना पर सहमत रहने के लिए मजबूर कर दिया था।

एजेंसियों को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के उसके कमरे से एक डी-फ्रीजर मिला, जिसका इस्तेमाल वह रसायनों का तापमान नियंत्रित रखने के लिए कर रहा था। उसका सूटकेस भी बम बनाने की सामग्री से भर हुआ मिला। जांचकर्ताओं का मानना है कि AK-47 की खरीद, TATP बनाने की प्रक्रिया और गुप्त चैट ग्रुप्स की तकनीकी मॉनिटरिंग — इन सबके पीछे उमर ही था।

गिरफ्तार आतंकियों ने यह भी स्वीकार किया कि 2023 की नूंह हिंसा और नासिर-जुनैद हत्याकांड ने उमर को एक “बड़ी कार्रवाई” की सोच की ओर धकेला। वह अपने साथियों से बार-बार कहता था कि देश का सामाजिक माहौल खतरनाक दिशा में जा रहा है और “आगे जेनोसाइड जैसी स्थिति बन सकती है, इसलिए तैयारी जरूरी है।”

2022 में श्रीनगर में मुजम्मिल, डॉक्टर अदील, डॉक्टर शाहीन और मुफ्ती इरफान से उसकी मुलाकात ने इस पूरे मॉड्यूल की नींव रखी। जांच में खुलासा हुआ है कि मॉड्यूल की अगली बड़ी योजना जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर TATP से एक बड़ा हमला करने की थी। लेकिन अक्टूबर 2025 में मुफ्ती इरफान की गिरफ्तारी के बाद पूरा नेटवर्क धीरे-धीरे पकड़ा गया। उसके फोन से मिला वही चीनी भाषा वाला गुप्त ग्रुप पूरी साजिश को खोलने की कुंजी साबित हुआ, जिसके आधार पर फरीदाबाद से मुजम्मिल और अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

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