
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि गीता प्रेस ने अपने प्रकाशनों के माध्यम से भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति ने यह बात शनिवार को गोरखपुर में गीता प्रेस के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कही।
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने बताया कि गीता प्रेस की स्थापना के पीछे का उद्देश्य गीता को शुद्ध रूप में सही अर्थ के साथ और कम कीमत पर जनता को उपलब्ध कराना था। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए बड़े गर्व की बात है कि कोलकाता में शुरू की गई एक छोटी सी पहल अब पूरे भारत में अपने काम के लिए जानी जाती है। गीता प्रेस की ‘कल्याण’ पत्रिका का आध्यात्मिक दृष्टि से संग्रहणीय साहित्य के रूप में प्रतिष्ठित स्थान है। यह शायद गीता प्रेस के सबसे प्रसिद्ध प्रकाशनों में से एक है और भारत में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली धार्मिक पत्रिका है।
आपको बता दें, भगवद गीता के अलावा, गीता प्रेस रामायण, पुराण, उपनिषद, भक्त-चरित्र आदि जैसी पुस्तकों का प्रकाशन करती है। इस प्रेस ने अब तक 70 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित करके एक कीर्तिमान बनाया है। गीता प्रेस को दुनिया में सबसे बड़ा हिंदू धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशक होने का गौरव प्राप्त है। राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि उन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद जनता को सस्ते दामों पर धार्मिक पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए गीता प्रेस की प्रशंसा की।