भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर आज तीन दिन के दौरे पर जापान जाएंगे। दोनों 7 से 10 सितंबर के बीत जापान में रहेंगे। यहां वे रक्षा मंत्री यासुकाजु हमादा और विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी से बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने के नए तरीके तलाशेंगे।
इन मसलों पर चर्चा की उम्मीद
इस दौरान दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रम पर भी चर्चा कर सकते हैं। दरअसल, हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता बढ़ रही है। हाल ही में चीन ने ताइवान के नज़दीक अभूतपूर्व भड़काऊ सैन्य अभ्यास किया था। ऐसे में दोनों देश चीन को सबक सिखाने के तरीकों पर भी विचार कर सकते हैं।
किशिदा ने भारत में 3,20,000 करोड़ के निवेश की बात कही
इससे पहले जापान के पीएम फुमियो किशिदा भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत के दौरे पर आए थे। शिखर सम्मेलन में किशिदा ने भारत में अगले पांच साल तक 3,20,000 करोड़ रुपए का निवेश करने की बात कही थी।
2019 में हुआ था पहला टू प्लस टू संवाद
भारत-जापान ने 2018 में दोनों देशों के बीच 2 + 2 संवाद आयोजित करने का फैसला लिया था। यह फैसला भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने जापान के टोक्यो में 13वीं भारत-जापान वार्षिक शिखर बैठक में लिया गया था। वहीं, दोनों देशों के बीच विदेश और रक्षा मंत्री संवाद का आयोजन पहली बार 30 नवंबर 2019 को नई दिल्ली में किया गया था।
इन देशों संग टू प्लस टू संवाद
भारत ने जापान के साथ 2019 में टू प्लस टू संवाद की शुरुआत की थी। फिलहाल भारत कुछ गिने चुने देशों के साथ ही टू प्लस टू संवाद आयोजित करता है, जिसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और रूस शामिल हैं।
उन्होंने कहा- यदि आप रूस से भारत की ऊर्जा खरीद पर बात करना चाहते हैं तो मेरा सुझाव है कि आपको यूरोप पर ध्यान देना चाहिए। हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी ऊर्जा को थोड़ी मात्रा में वहां से आयात करते हैं। लेकिन आप आंकड़ों को देखिए, हम जितना एक महीने में रूस से तेल नहीं खरीदते, उससे कहीं अधिक तेल यूरोप एक दोपहर में खरीदता है।
राजनाथ सिंह डिफेंस पार्टनरशिप मजबूत करने पर बात की
इसके पहले राजनाथ सिंह ने वॉशिंगटन में लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों मंत्रियों ने इंडो-पैसिफिक रीजन में सहयोग बढ़ाने और डिफेंस पार्टनरशिप को मजबूत करने पर चर्चा की। ऑस्टिन ने चीन की तरफ से हिंद प्रशांत महासागर में की जा रही दखलअंदाजी को लेकर भी भारत को पूरी मदद का भरोसा दिया।