
प्रदेश में अगले पांच वर्ष में सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा से जुड़े उद्योगों में पांच हजार करोड़ का निवेश अर्जित कर एक लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। आईटी-आईटीइएस के क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशकों को न्यूनतम पांच करोड़ रुपये के निवेश पर दस प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी इसकी अधिकतम सीमा 50 करोड़ रुपये होगी।
निवेशकों की ओर से यूनिट स्थापित करने के लिए बैंक से लिए गए कर्ज के ब्याज पर सात प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। योगी कैबिनेट की बुधवार को आयोजित बैठक में – योगी कैबिनेट ने सूचना प्रौद्योगिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा नीति-2022 को मंजूरी दी गई।
औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि पश्चिमांचल, मध्यांचल, बुंदेलखंड में निवेश करने वाले निवेशकों को न्यूनतम रोजगार मानदंड पूरा करने पर भूमि की लागत पर 25 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी। इसकी अधिकतम सीमा 50 करोड़ रुपये होगी। उन्होंने बताया कि स्वीकृत पेटेंट पर वास्तविक फाइलिंग चार्ज का शत प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जाएगी। घरेलू पेटेंट के लिए इसकी सीमा पांच लाख और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए दस लाख रुपये होगी।
आईटी सिटी और पार्क स्थापित करने पर मिलेगी 25 प्रतिशत सब्सिडी
आईटी सिटी और आईटी पार्क की स्थापना करने वालों को पूंजीगत निवेश पर 25 फीसदी तक सब्सिडी जाएगी। अधिकतम सीमा 100 करोड़ रुपये होगी। भूमि की खरीद पर स्टांप ड्यूटी में भी शत प्रतिशत छूट दी जाएगी। इसके तहत पश्चिमांचल (गाजियाबाद और नोएडा को छोड़कर), मध्यांचल, पूर्वांचल और बुंदेलखंड में एक-एक आईटी सिटी की स्थापना की जाएगी। वहीं आईटी इंडस्ट्री स्थापित करने वाले निवेशकों को 10 फीसदी तक सब्सिडी दी जाएगी।
प्रत्येक मंडल में एक आईटी पार्क बनाएंगे
आईटी नीति के तहत प्रत्येक मंडल में एक ग्रीन फील्ड आईटी पार्क की स्थापना के लिए वित्तीय मदद दी जाएगी। आईटी पार्क की स्थापना में निवेशक को पूंजीगत व्यय पर 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। इसकी अधिकतम सीमा 20 करोड़ रुपये होगी। विकासकर्ता को भूमि की खरीद पर स्टांप शुल्क में शत प्रतिशत छूट दी जाएगी।
नई नीति में इन पर रहेगा फोकस
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में आईटी हार्डवेयर, आईटी, आईटीईएस इकाइयां, एप्लीकेशन, सॉफ्टवेयर और आईटी सेवा को शामिल किया है। इसमें बीपीओ, केपीओ, परामर्श एनीमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व गेमिंग उद्योग पर फोकस किया जाएगा।
विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से
उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 5 दिसंबर से आयोजित किया जाएगा। शीतकालीन सत्र में सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 का पहला अनुपूरक बजट प्रस्ताव पेश करेगी। कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आहूत करने का प्रस्ताव मंजूर किया गया। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि 5 दिसंबर से विधानमंडल का सत्र तीन दिन तक चलेगा। शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट के साथ कुछ अध्यादेश और विधेयक भी पेश किए जाएंगे।
इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग में एक हजार करोड़ रुपये तक के निवेश पर मिलेगी सब्सिडी
प्रदेश में लघु एवं मध्यम इलेक्ट्रानिक्स निर्माण के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपये तक के निवेश के लिए अधिकतम 10 करोड़ रुपये की सब्सिडी की सीमा समाप्त किया गया है। अब 1,000 करोड़ रुपये के निवेश तक फ्लैट 15 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। योगी कैबिनेट की बुधवार को आयोजित बैठक में उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक्स विनिर्माण नीति-2020 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। संशोधित नीति के तहत 200 करोड़ रुपये तक निवेश वाली इकाइयों को बैंक से लिए गए ऋण पर ब्याज की सब्सिडी की अवधि को पांच से वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष करने और सब्सिडी की सीमा को पांच से बढ़ाकर सात करोड़ रुपये किया गया है।
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि एंकर इकाई के रूप में कार्य करने वाले तथा पूरक इकाइयों को साथ लाने की गारंटी देने वाले निवेशकों तथा फोकस क्षेत्रों के तहत आवेदन करने वाले निवेशकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि निवेशकों को परियोजना के क्रियान्वयन के लिए अनुकूल समय दिया जाएगा। निवेशकों को लेटर ऑफ कम्फर्ट की तिथि से 200 करोड़ रुपये तक निवेश करने वाली इकाइयों को 05 वर्ष, 200 करोड़ रुपये से 1000 करोड़ रुपये के बीच निवेश करने वाली इकाइयों को 6 वर्ष तथा 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाली इकाइयों को 7 वर्ष का समय दिया जाएगा।
भविष्य निधि की प्रतिपूर्ति करेगी सरकार
संशोधित नीति में लॉजिस्टिक्स उपादान, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगजन एवं ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के भविष्य निधि की प्रतिपूर्ति की जाएगी। 200 करोड़ रुपये निवेश करने वाले निवेशकों को यूनिट की स्थापना के लिए किराए पर भूमि या भवन लेने पर 5 वर्ष तक 25 प्रतिशत किराए की प्रतिपूर्ति की जाएगी। सेमीकंडक्टर इकाइयों के दायरे को पुन: पारिभाषित करते हुए उनके लिए प्रोत्साहनों को भी पारिभाषित कर दिया गया है।
पिछली नीति से मिला 20 हजार करोड़ का निवेश
औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने बताया कि इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग नीति-2022 के तहत 20,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश हुआ है। तीन लाख लोगोंको रोजगार मिला है। उन्होंने बताया कि संशोधित नीति के जरिये दस खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में मंजूरी मिलेगी।
सोलर पावर प्लांट के लिए निजी क्षेत्र को 15 हजार प्रति एकड़ में मिलेगी जमीन
प्रदेश में सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिए सरकारी उपक्रमों को एक रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से ग्राम पंचायत व राजस्व भूमि दी जाएगी। निजी क्षेत्र में सोलर पार्क की स्थापना के लिए 15 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्ष के लिए पट्टे पर दी जाएगी। राज्य सरकार ने अगले पांच वर्ष में सौर ऊर्जा से 22 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। सोलर पार्क से 14,000 मेगावाट, सोलर रूफटॉप आवासीय से 4500 मेगावाट, सोलर रूफटॉप अनावासीय से 1500 मेगावाट तथा पीएम कुसुम योजना के तहत 2000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उ.प्र. सौर ऊर्जा नीति-2022 को मंजूरी दे दी गई जिसमें सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए कई अहम प्रावधान किए गए हैं। यह नीति पांच वर्ष तक लागू रहेगी। कैबिनेट ने नीति में आवश्यक संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कैबिनेट ने निजी आवासों पर नेट मीटरिंग व्यवस्था के साथ ग्रिड संयोजित सोलर सिस्टम की स्थापना पर केंद्रीय वित्तीय सहायता के अलावा राज्य सरकार की ओर से 15 हजार रुपये प्रति किलोवॉट, अधिकतम 30,000 रुपये प्रति उपभोक्ता के राज्य अनुदान की अनुमन्यता को भी स्वीकृति दी है। सरकारी और शिक्षण संस्थानों के भवनों पर नेट मीटरिंग के साथ सोलर रूफटॉप अनुमन्य किया गया है। पीएम कुसुम योजना के तहत भी किसानों के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
कैबिनेट ने सौर ऊर्जा इकाइयों की स्थापना के लिए खरीदी अथवा लीज पर ली जाने वाली जमीन देय स्टांप शुल्क में शत प्रतिशत छूट देने के साथ ही इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से 10 वर्ष के लिए छूट प्रदान किये जाने की अनुमति दी है। सौर प्लांट को पर्यावरण अनापत्ति प्राप्त करने से छूट प्रदान करने, ग्रिड संयोजित सोलर पीवी परियोजनाओं को प्रदूषण नियंत्रण नियम के तहत स्थापना और संचालन की सहमति व एनओसी प्राप्त करने से छूट देने का निर्णय किया गया है। नीति के क्त्रिस्यान्वयन के लिए उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (यूपीनेडा) को नोडल एजेंसी नामित किया गया है। पांच मेगावाट अथवा उससे अधिक क्षमता के स्टोरेज सिस्टम के साथ स्थापित सोलर पार्कों को ढाई करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की दर से सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।
सोलर सिटी के रूप में विकसित होगा अयोध्या
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि नीति के तहत अयोध्या शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश के 16 नगर निगमों तथा नोएडा को भी सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके तहत संबंधित शहर की पारंपरिक ऊर्जा की अनुमानित कुल मांग की न्यूनतम 10 प्रतिशत बिजली शहर क्षेत्र में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्रों से पूरी की जाएगी। इसके लिए नीति के अंतर्गत 2011 की नगर निगम क्षेत्र की जनगणना के अनुसार 100 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से राज्य सरकार द्वारा नगर निगमों/नोएडा सिटी को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।