
उत्तराखंड में इस साल की गर्मियों ने जल संकट को और भी गहरा कर दिया है। राज्य के 183 मोहल्लों को संभावित पेयजल संकट के रूप में चिन्हित किया गया है, जो आने वाले महीनों में पानी की भारी कमी से जूझ सकते हैं। जल संस्थान ने यह चेतावनी जारी की है कि ये इलाके गर्मी के मौसम में पानी की आपूर्ति में गंभीर समस्याओं का सामना करेंगे, जिसके कारण लोगों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।राज्य में पिछले कुछ समय से गर्मी की लहर लगातार बढ़ रही है, और इसके कारण जलाशयों का जल स्तर गिर रहा है। राज्य के कई इलाकों में न केवल जल स्रोत सूखने लगे हैं, बल्कि पानी की वितरण प्रणाली भी प्रभावित हो रही है। जल संस्थान के अधिकारियों के अनुसार, इन 183 मोहल्लों में पानी की किल्लत को ध्यान में रखते हुए पहले ही कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन स्थिति गंभीर हो सकती है। इस सूची में शामिल मोहल्ले विशेष रूप से शहरों और ग्रामीण इलाकों के ऐसे क्षेत्र हैं, जो पहले से ही जल संकट से जूझ रहे हैं।इस संकट से निपटने के लिए जल संस्थान ने कई उपायों की योजना बनाई है। संस्थान ने पानी की आपूर्ति को सुचारू बनाए रखने के लिए जल संरक्षण उपायों को बढ़ावा देने, जलाशयों और बांधों में पानी की मात्रा बढ़ाने के प्रयास तेज किए हैं। इसके अलावा, प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों के जरिए पानी की आपूर्ति करने की योजना भी बनाई गई है। जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि गर्मियों में पानी की मांग बढ़ने के कारण जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, लेकिन राज्य सरकार के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान करने की पूरी कोशिश की जाएगी।साथ ही, सार्वजनिक जल स्रोतों का भी निरीक्षण किया जाएगा और जहां भी पानी की भारी कमी महसूस हो, वहां पर नए जल स्रोतों की तलाश की जाएगी। इसके अलावा, जल पुनर्चक्रण और वृष्टि जल संचयन जैसी योजनाओं पर जोर दिया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह के संकट से बचा जा सके।राज्य सरकार ने भी इस संकट को गंभीरता से लिया है और लोगों से जल का संरक्षण करने की अपील की है। गर्मी के मौसम में जहां जल स्रोत सूखने का खतरा बढ़ जाता है, वहीं दूसरी ओर विवेकपूर्ण जल उपयोग की दिशा में भी लोग जागरूक हो रहे हैं। सरकार की कोशिश है कि जल संकट से निपटने के लिए हर संभव कदम उठाया जाए, ताकि लोगों को पानी की कमी का सामना न करना पड़े।इस जल संकट के बीच लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पानी की बचत करने की आवश्यकता है, और राज्य प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि आने वाले महीनों में हर घर तक पर्याप्त पानी की आपूर्ति हो सके। जल संकट से बचने के लिए, अब समय आ गया है कि जल प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।कुल मिलाकर, गर्मी के बढ़ते प्रभाव और जल स्रोतों की कमी के कारण उत्तराखंड में पानी की आपूर्ति में संकट आने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में जल संस्थान और राज्य प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती है, जिसका समाधान तत्काल प्रभाव से करना जरूरी है।