
देशभर में डिजिटल भुगतान प्रणाली का सबसे बड़ा आधार बन चुका UPI (Unified Payments Interface) एक बार फिर तकनीकी गड़बड़ी का शिकार हो गया है। मंगलवार दोपहर से कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि उन्हें PhonePe, Google Pay, Paytm जैसे प्रमुख ऐप्स पर लेन-देन करने में भारी परेशानी हो रही है। किसी का भुगतान अटक रहा है तो किसी के पैसे कटने के बाद भी ट्रांजैक्शन फेल हो रहा है। यह समस्या कुछ घंटों के लिए पूरे देश में व्यापक रूप से देखी गई, जिससे हजारों यूजर्स प्रभावित हुए। यूजर्स ने सबसे पहले इस खराबी की जानकारी सोशल मीडिया के ज़रिए साझा की। ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर #UPIDown, #PhonePeNotWorking जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई लोगों ने स्क्रीनशॉट शेयर कर बताया कि जब वे पेमेंट करने की कोशिश कर रहे थे, तब या तो ऐप लोड नहीं हो रहा था या फिर “Transaction Failed”, “Unable to process request”, “Server busy” जैसे मैसेज आ रहे थे। विशेष रूप से इस बार जिन ऐप्स पर ज्यादा शिकायतें आईं, उनमें PhonePe और Google Pay प्रमुख रहे। इन दोनों प्लेटफॉर्म्स पर रोज़ाना करोड़ों का लेन-देन होता है। ऐसे में अचानक सर्वर ठप होने से व्यापारियों, ग्राहकों, छात्रों और आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दुकानों में खरीदारी करने आए ग्राहक भुगतान नहीं कर पाए, वहीं कई ऑनलाइन ट्रांजैक्शन भी फेल हो गए। इस पूरे मामले पर अभी तक NPCI (National Payments Corporation of India) की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन टेक एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह समस्या संभवतः UPI सर्वर की अधिक लोड या बैकएंड से जुड़ी तकनीकी खराबी के कारण हुई है। पिछले कुछ महीनों में UPI सर्वर के डाउन होने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे डिजिटल पेमेंट के प्रति लोगों का भरोसा कहीं न कहीं प्रभावित हो रहा है। यह पहली बार नहीं है जब UPI सेवा प्रभावित हुई है। इससे पहले भी कई बार त्योहारों या वीकेंड पर ट्रैफिक लोड बढ़ने से ट्रांजैक्शन में दिक्कतें आई हैं। लेकिन बार-बार हो रही इस तरह की तकनीकी खामियों ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम डिजिटल पेमेंट पर पूरी तरह निर्भर हो सकते हैं? व्यापारियों का कहना है कि जब ग्राहक कैश नहीं रखते और अचानक ऐप्स बंद हो जाते हैं, तो व्यापार पर असर पड़ता है। वहीं, छात्रों और ऑनलाइन पेमेंट करने वालों के लिए यह एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है।हालांकि, कुछ यूजर्स को थोड़ी देर बाद सेवाएं बहाल भी मिल गईं, लेकिन ट्रांजैक्शन की स्पीड और सफलता दर बहुत कम रही। फिलहाल तकनीकी टीमें स्थिति को सामान्य करने में जुटी हुई हैं और जल्द ही स्थायी समाधान की उम्मीद की जा रही है।यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या भारत जैसे डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ते देश में इस तरह की आवश्यक सेवाओं के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतर सर्वर क्षमता की जरूरत नहीं है? सरकार और संबंधित संस्थाओं को इस दिशा में शीघ्र और ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की परेशानी से बचा जा सके।