
उत्तराखंड में श्रद्धा और विश्वास का महापर्व मानी जाने वाली चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो चुका है, लेकिन इस बार यात्रियों को केवल आध्यात्मिक कठिनाइयों का ही नहीं, बल्कि भौगोलिक और निर्माणाधीन सड़कों की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। पवित्र धामों के मार्गों पर अभी भी कई स्थानों पर निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है, जिससे यात्रा की गति प्रभावित हो रही है।
सबसे बड़ी चिंता का विषय है पाताल गंगा टनल, जिसकी मरम्मत का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है। अधिकारियों के अनुसार, टनल को पूरी तरह ठीक करने में अभी कम से कम दो महीने का समय लग सकता है। इस टनल की स्थिति फिलहाल इतनी खराब है कि भारी वाहनों और यात्रियों के सुगम आवागमन में लगातार बाधाएं आ रही हैं।
पाताल गंगा टनल का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह बदरीनाथ धाम जाने वाले मार्ग का अहम हिस्सा है। जब तक यह टनल पूरी तरह से ठीक नहीं होती, तब तक यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों से यात्रा करनी पड़ रही है, जिससे समय और दूरी दोनों बढ़ रही हैं।
राज्य सरकार और प्रशासन ने दावा किया था कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले सभी प्रमुख सड़क मार्गों और सुरंगों की मरम्मत पूरी कर ली जाएगी, लेकिन जमीन पर हकीकत इससे अलग नज़र आ रही है। कई क्षेत्रों में सड़कें अधूरी हैं, कुछ स्थानों पर डामरीकरण अधूरा है, और कुछ जगहों पर बरसात के कारण दोबारा नुकसान हो गया है।
चारधाम यात्रा, जिसमें केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल हैं, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन मार्ग में अव्यवस्थाओं और निर्माणाधीन हालातों के कारण तीर्थयात्रियों को असुविधा झेलनी पड़ रही है। कुछ जगहों पर तो ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है, जिससे लोगों को घंटों तक रुकना पड़ रहा है।
प्रशासन की ओर से यह आश्वासन दिया गया है कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। टनल के मरम्मत कार्य को गति देने के निर्देश दे दिए गए हैं और संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस बल और राहत टीमों की तैनाती की गई है।
हालांकि श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है, लेकिन लगातार उठ रहे सवाल यह हैं कि हर साल चारधाम यात्रा पूर्व निर्धारित होती है, तो फिर तैयारियों में यह ढिलाई क्यों? क्या धार्मिक पर्यटन को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा?
अब देखना यह होगा कि आने वाले दो महीनों में पाताल गंगा टनल के साथ-साथ अन्य निर्माण कार्य कितनी तेजी से पूरे होते हैं, ताकि श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित, सुविधाजनक और शांतिपूर्ण यात्रा अनुभव मिल सके।