
राजधानी दिल्ली की पुलिस ने एक ऐसा खतरनाक अपराधी पकड़ा है, जिसने छह साल में 125 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट कराने के साथ-साथ 100 से ज्यादा हत्या किए हैं। डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा, जिन्हें ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से जाना जाता है, की गिरफ्तारी एक मोबाइल फोन रिचार्ज के आधार पर हुई। पुलिस को पता चला कि उसका फोन राजस्थान के दौसा में रिचार्ज हुआ है। इसके बाद टीम ने लोकेशन ट्रेस करते हुए दौसा में एक मंदिर के आश्रम के बाहर लगभग एक हफ्ते तक गुप्त निगरानी रखी। पूरी सतर्कता और पुख्ता जांच के बाद पुलिस ने देवेंद्र को गिरफ्तार किया।गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने बाबा का रूप धारण कर रखा था, ताकि वह शक से बच सके। मगर पुलिस की मेहनत रंग लाई और वह दबोचा गया। गिरफ्तारी के बाद उसे दिल्ली लाकर जेल प्रशासन के हवाले कर दिया गया।
परिवार से अलगाव, पत्नी ने छोड़ा था साथ
जांच में सामने आया कि देवेंद्र की पत्नी ने 2004 में उसकी आपराधिक गतिविधियों को जानकर उसे हमेशा के लिए छोड़ दिया था। पत्नी अपने बच्चों के साथ मुंबई चली गई। देवेंद्र के दो बेटे हैं—एक स्विट्जरलैंड में और दूसरा केरल में नौकरी करता है। स्थानीय लोगों को जब उसके अपराधों का पता चला तो वे सकते में आ गए क्योंकि देवेंद्र अपने रिश्तेदारों से भी कट चुका था।
हत्या का तरीका और नहर में शव फेंकना
पूछताछ में देवेंद्र ने बताया कि उसने टैक्सी और ट्रक चालकों की हत्या करने के बाद उनके शवों को कासगंज की हजारा नहर में फेंक दिया। इस नहर में मौजूद मगरमच्छ शवों को निगल जाते थे, जिससे पुलिस को साक्ष्य जुटाने में कठिनाई होती थी। यह तरीका उसने पुलिस की जांच से बचने के लिए अपनाया था।
डॉ. अमित के साथ किडनी रैकेट का भंडाफोड़
डॉ. देवेंद्र ने बताया कि 1998 में उसकी मुलाकात डॉ. अमित से हुई। अमित ने उसे किडनी डोनर लाने के लिए कहा। इसके लिए डोनर को 5 से 7 लाख रुपये दिए जाते थे। देवेंद्र बिहार, बंगाल और नेपाल के गरीब लोगों को लालच देकर डॉ. अमित के पास ले जाता था। 1998 से 2004 के बीच इस जोड़ी ने 125 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट कराए। 2004 में दोनों को गुरुग्राम में किडनी रैकेट के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
अपराध की शुरुआत और ठगी
पूछताछ में देवेंद्र ने बताया कि करीब 50 हत्याओं के बाद उसने हत्या की गिनती ही छोड़ दी थी। वह बिहार से बीएएमएस की डिग्री लेकर 1984 में दौसा, राजस्थान आया और जनता क्लिनिक नाम से अस्पताल चलाने लगा। शुरुआत में उसने टावर लगाने के नाम पर 11 लाख रुपये ठग लिए। इसके बाद वह फर्जी गैस एजेंसी का कारोबार चलाने लगा और ठगी करने लगा। बाद में उसने अपना गैंग बना लिया।
खतरनाक गैंगस्टर की पहचान
डॉ. देवेंद्र ने अपने गैंग के जरिए टैक्सी और ट्रक चालकों को बुक कराकर उनकी हत्या करवा दी। मृतक चालकों के शव नहर में फेंक दिए जाते थे। चालकों की टैक्सी और ट्रक को ग्रे मार्केट में बेचकर भारी रकम कमाई जाती थी। ऐसे ही उसने वर्षों तक अपनी आपराधिक गतिविधियां जारी रखीं।