
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में लगातार हो रहे सेल्फी से जुड़े हादसों पर गंभीर रुख अपनाते हुए बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। अब प्रदेश के खतरनाक और संवेदनशील क्षेत्रों को ‘नो सेल्फी ज़ोन’ घोषित किया जाएगा। इन स्थानों पर सेल्फी लेना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। वहीं, दूसरी ओर सुरक्षित स्थानों को चिह्नित कर उन्हें ‘सेल्फी ज़ोन’ के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि लोग सुरक्षित तरीके से इस डिजिटल युग के शौक को पूरा कर सकें।
स्थानीय निकायों को मिलेगा जिम्मा
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने इस संबंध में प्रशासन, पुलिस विभाग, जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को विस्तृत दिशा-निर्देशों के साथ पत्र भेजा है। निर्देशों के अनुसार, हर जिले में स्थानीय नगर निकाय, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत और अन्य संस्थाओं के सहयोग से ऐसे सुरक्षित सेल्फी स्थलों का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इन स्थलों के संचालन और रख-रखाव का जिम्मा स्थानीय समुदाय, महिला स्वयं सहायता समूहों और युवा संगठनों को सौंपा जाएगा, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
सुरक्षित सेल्फी जोन में मिलेंगी ये सुविधाएं
सरकार की योजना के अनुसार, विकसित किए जाने वाले सुरक्षित सेल्फी स्पॉट्स के पास कार पार्किंग, अल्पाहार केंद्र, शौचालय और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इसका उद्देश्य है कि पर्यटक और स्थानीय लोग एक सुरक्षित और व्यवस्थित वातावरण में फोटोग्राफी और मनोरंजन का आनंद ले सकें, बिना किसी जानलेवा जोखिम के।
युवाओं में बढ़ रही है ‘सेल्फी होड़’
सचिव सुमन ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि मौजूदा समय में सेल्फी लेने का प्रचलन एक खतरनाक हद तक बढ़ चुका है। खासकर युवाओं में सोशल मीडिया पर लाइक्स, कमेंट्स और फॉलोअर्स पाने की होड़ इस कदर हावी है कि वे अपनी जान तक जोखिम में डालने लगे हैं। वे ऊंचे पुलों, पहाड़ों की धारों, नदी-नालों, झरनों और यहां तक कि रेलवे ट्रैकों या चलते वाहनों में खतरनाक पोज़ में सेल्फी लेने से नहीं हिचकते।
कई जानें जा चुकी हैं इस चक्कर में
राज्य में हाल के वर्षों में दर्जनों ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें सेल्फी लेते समय लोग दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं या जान गंवा बैठे हैं। कुछ उदाहरणों में लोग जलप्रपातों में गिर गए, ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आ गए, या तेज ढलानों से फिसल कर मौत के शिकार हुए। ये घटनाएं यह दिखाती हैं कि डिजिटल दुनिया की लोकप्रियता के पीछे एक खतरनाक मानसिक प्रवृत्ति विकसित हो रही है।
प्रशासन को दिए गए निर्देश
राज्य सरकार ने इस सिलसिले में जिला प्रशासन और पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने, खतरनाक स्थानों को चिन्हित कर वहां ‘नो सेल्फी जोन’ के साइनबोर्ड लगाने, तथा इन क्षेत्रों में सुरक्षा कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही, स्कूली और कॉलेज स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की भी सिफारिश की गई है ताकि युवा वर्ग को यह समझाया जा सके कि एक तस्वीर के लिए जान जोखिम में डालना कितना गलत और अस्वीकार्य है। उत्तराखंड जैसे पर्यटन प्रधान राज्य में जहां प्रकृति का सौंदर्य हर कदम पर लोगों को आकर्षित करता है, वहां इस तरह की घटनाएं राज्य की छवि और लोगों की सुरक्षा दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण बन जाती हैं। सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल लोगों की जान बचाने में सहायक होगा, बल्कि पर्यटन को एक सुरक्षित और जिम्मेदार दिशा में ले जाने में भी मील का पत्थर साबित हो सकता है।