देहरादून में अब पानी की बर्बादी पर लगेगी रोक, फिजूलखर्ची पड़ेगी महंगी!

देहरादून-में-अब-पानी-की-बर्बादी-पर-लगेगी-रोक

पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. जहां एक तरफ कई जगह पेयजल की किल्लत से लोग परेशान रहते हैं, वहीं कई जगहों पर लोग नल खुला छोड़ देते हैं, जिससे पानी की बर्बादी होती है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में अब पेयजल विभाग की ओर से जल संचय के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत अब बिजली के मीटर की तरह घरों में पानी के मीटर भी लगाए जाएंगे, यानी आप जितना पानी खर्च करेंगे उतना आपको बिल देना होगा. इससे बेवजह पानी की बर्बादी नहीं होगी क्योंकि पेयजल विभाग ऐसे लोगों पर सख्ती करेगा, जो पेयजल को महत्व नहीं देते हैं. स्मार्ट सिटी लिमिटेड और जल संस्थान मिलकर भी हाईटेक उपकरणों का उपयोग कर वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम पर नजर रखने वाले हैं. इसके लिए एक ऑटोमेशन सिस्टम पर भी काम किया जा रहा है, जिसका नाम वॉटर स्काडा सिस्टम है. इस सिस्टम से वॉटर प्रोडक्शन, सप्लाई और क्वालिटी को लेकर 24 घंटे मॉनिटरिंग की जा सकेगी. इसके अलावा किस क्षेत्र में कितना पानी पहुंच रहा है और किस ट्यूबवेल से कितना पानी उपयोग में लाया जा रहा है, इसकी भी सभी जानकारी जल संस्थान के पास होगी.

मिली जानकारी के मुताबिक, देहरादून में पेयजल सप्लाई में मौजूदा वक़्त में 35 करोड़ रुपये की बिजली सालाना खर्च होती है. वॉटर स्काडा सिस्टम से उसमें बचत हो पाएगी. इस तरह के सेंसर लैस पेयजल सिस्टम मैनेजमेंट से पेयजल की बर्बादी पर भी अंकुश लग सकेगा. उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम के मुख्य अभियंता संजय सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से पूरी तरह से कोशिश की जा रही है कि हर क्षेत्र तक उपयुक्त मात्रा में पानी पहुंचे. इसके लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं.

पानी के मीटर लगाने का काम शुरू

उन्होंने आगे कहा कि लोगों को विभाग द्वारा जागरूक किया जा रहा है और इसी के साथ ही नए-नए आयाम के साथ पेयजल संरक्षण पर भी काम किया जा रहा है. इसी दिशा में अब बिजली के मीटर की तर्ज पर पानी के मीटर भी लगाए जाएंगे, जिससे पानी की बर्बादी को रोका जा सके. उन्होंने बताया कि देहरादून के कुछ क्षेत्रों में पानी के मीटर लगाने का काम शुरू कर दिया गया है.

घरों में पहले भी लगते थे मीटर

देहरादून नगर निगम के पार्षद जयपाल वाल्मीकि ने कहा कि विभाग के पानी मीटर लगाने का यह कदम सराहनीय है. यह पहली बार नहीं है कि पानी के मीटर लग रहे हैं, इससे पहले भी पानी के मीटर लगाए जाते थे लेकिन जब से वह मीटर बंद कर दिए गए, तब से पानी की फिजूलखर्ची शुरू हो गई, जबकि जनता को जागरूक होना चाहिए कि जल के बिना कुछ नहीं है और उसका महत्व समझना चाहिए.

पानी की बर्बादी करने वालों पर हो कार्रवाई

पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी हिमांशु अरोड़ा ने कहा कि जल संस्थान द्वारा लिया गया यह फैसला ठीक है, लेकिन जो लोग बोरिंग कर सरकार को बिना टैक्स दिए फ्री में और बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी करते हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. इसके साथ ही जो जगह-जगह पाइपलाइन टूटी होती है, उनकी भी समय पर मरम्मत होनी चाहिए ताकि वहां से भी पानी की बर्बादी न होने पाए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *